India-Afghanistan Relations: ट्रंप का ख्वाब तोड़ने को साथ आए भारत-पाकिस्तान, एक मंच पर ठुकरा दी बड़ी डिमाड, जानें क्या है ये

India-Afghanistan Relations: ट्रंप का ख्वाब तोड़ने को साथ आए भारत-पाकिस्तान, एक मंच पर ठुकरा दी बड़ी डिमाड, जानें क्या है ये
By : | Updated at : 08 Oct 2025 10:14 AM (IST)
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This article highlights: India-Afghanistan Relations: ट्रंप का ख्वाब तोड़ने को साथ आए भारत-पाकिस्तान, एक मंच पर ठुकरा दी बड़ी डिमाड, जानें क्या है ये. In context: अफगानिस्तान को लेकर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बदलाव देखने को मिला है भारत अब तालिबान, रूस, चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के साथ अमेरिका के खिलाफ एक ही मंच पर दिखाई दिया है. Stay tuned with The Headline World for more insights and details.

अफगानिस्तान को लेकर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बदलाव देखने को मिला है. भारत अब तालिबान, रूस, चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के साथ अमेरिका के खिलाफ एक ही मंच पर दिखाई दिया है. यह विरोध अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान के खिलाफ है, जिसमें उन्होंने अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस को अमेरिका को वापस सौंपने की मांग की थी. भारत की यह नई स्थिति उसकी अफगान नीति में एक ऐतिहासिक परिवर्तन मानी जा रही है, क्योंकि अब तक भारत तालिबान से किसी भी प्रत्यक्ष राजनीतिक जुड़ाव से बचता आया था.

रूस की राजधानी मॉस्को में आयोजित “मॉस्को फॉर्मेट कंसल्टेशन ऑन अफगानिस्तान” की सातवीं बैठक में भारत, रूस, चीन, पाकिस्तान, ईरान, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, किर्गिस्तान और बेलारूस के प्रतिनिधि शामिल थे. बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि अफगानिस्तान या उसके पड़ोसी देशों में किसी भी बाहरी देश की सैन्य तैनाती अस्वीकार्य है, क्योंकि यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के खिलाफ है. हालांकि बयान में अमेरिका का नाम नहीं लिया गया, लेकिन यह संदेश ट्रंप की नीति पर सीधा संकेत था.

ट्रंप और तालिबान के बीच बयानबाजी तेज

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दोहराया कि तालिबान को अमेरिका को बगराम एयरबेस वापस सौंपना चाहिए. ब्रिटिश प्रधानमंत्री किम स्टार्मर के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा हमने वह बेस उन्हें मुफ्त में दे दिया, अब हम उसे वापस चाहते हैं. हालांकि, बाद में उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा ''अगर अफगानिस्तान ने बगराम एयरबेस नहीं लौटाया तो इसके गंभीर नतीजे होंगे.” इस बयान पर तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने जवाब दिया कि अफगान किसी भी कीमत पर अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे. अगर ज़रूरत पड़ी तो हम अगले 20 साल भी लड़ने को तैयार हैं.

भारत का रुख

भारत ने मॉस्को बैठक में यह स्पष्ट किया कि अफगानिस्तान की स्थिरता किसी भी विदेशी सैन्य दबाव या हस्तक्षेप से प्रभावित नहीं होनी चाहिए. भारतीय प्रतिनिधि ने कहा कि अफगानिस्तान की संप्रभुता और क्षेत्रीय शांति का सम्मान किया जाना चाहिए. बाहरी हस्तक्षेप केवल अस्थिरता को बढ़ावा देगा.

अफगान विदेश मंत्री मुत्ताकी की भारत यात्रा

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी 9 से 16 अक्टूबर तक भारत की यात्रा पर रहेंगे. यह उनकी भारत की पहली आधिकारिक यात्रा होगी. मुत्ताकी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की प्रतिबंधित सूची में शामिल हैं, इसलिए उनके भारत आने के लिए विशेष मंजूरी दी गई है.

बगराम एयरबेस एशिया का राजनीतिक केंद्र

काबुल से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित बगराम एयरबेस अफगानिस्तान का सबसे बड़ा और रणनीतिक हवाई अड्डा है. इसके दो रनवे क्रमशः 3.6 किलोमीटर और 3 किलोमीटर लंबे हैं. 2001 से 2021 तक यह अमेरिकी सेना का प्रमुख ठिकाना था, जहां से आतंकवाद के खिलाफ अभियानों का संचालन होता था. बगराम का भौगोलिक स्थान मध्य, पश्चिम और दक्षिण एशिया के संगम पर है, जो इसे रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाता है. अमेरिका इस बेस को दोबारा नियंत्रण में लेना चाहता है ताकि वह ईरान, पाकिस्तान और चीन पर निगरानी बनाए रख सके.

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