Karwa Chauth: करवा चौथ पर रील बनाना पाप है? जानिए परंपरा, मनोविज्ञान और धर्म का मर्म

Karwa Chauth: करवा चौथ पर रील बनाना पाप है? जानिए परंपरा, मनोविज्ञान और धर्म का मर्म
By : | Updated at : 07 Oct 2025 06:43 PM (IST)
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This article highlights: Karwa Chauth: करवा चौथ पर रील बनाना पाप है? जानिए परंपरा, मनोविज्ञान और धर्म का मर्म. In context: Show Quick Read Key points generated by AI, verified by newsroom Karwa Chauth: करवा चौथ व्रत का उद्देश्य पति की दीर्घायु और वैवाहिक स्थिरता के लिए संयम, प्रेम और आत्मनिष्ठा का अभ्यास है आज सोशल मीडिया ने इस व्रत को एक वायरल इवेंट बना दिया है, जहां आस्था और प्रदर्शन के बीच संतुलन खोता जा रहा है. Stay tuned with The Headline World for more insights and details.

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Karwa Chauth: करवा चौथ व्रत का उद्देश्य पति की दीर्घायु और वैवाहिक स्थिरता के लिए संयम, प्रेम और आत्मनिष्ठा का अभ्यास है. आज सोशल मीडिया ने इस व्रत को एक वायरल इवेंट बना दिया है, जहां आस्था और प्रदर्शन के बीच संतुलन खोता जा रहा है.

धार्मिक दृष्टि से व्रत में रील बनाना निषिद्ध नहीं है, लेकिन यदि उद्देश्य दिखावा, व्यूज या व्यवसायिक लाभ हो, तो यह अशुभ कर्म की श्रेणी में आता है. संवेदनशीलता, श्रद्धा और मर्यादा ही इसकी सीमाएं तय करती हैं.

परंपरा से पब्लिसिटी तक

करवा चौथ का उल्लेख स्कंद पुराण और भविष्य पुराण में मिलता है, जहां इसे सौभाग्यवती स्त्रियों का व्रत कहा गया है. इस व्रत में मौन, उपवास, चंद्रदर्शन और व्रतकथा-सुनना प्रमुख हैं. मगर Social Blade India, 2024 के अनुसार 2020 के बाद, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर इस व्रत से जुड़ी रील्स में 300 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी देखी गई है. यानी अब करवा चौथ की पूजा-थाली के साथ ट्राइपॉड और रिंगलाइट भी नजर आने लगे हैं यही डिजिटल धर्म की नई परिभाषा बन रही है.

श्रद्धा अब व्यू-काउंट से मापी जा रही है!

दिल्ली की एक वायरल रील में महिला ने पति की छाती पर चढ़कर व्रत खोला, इसकी काफी चर्चा रही. कुछ ने इसे क्रिएटिविटी कहा, तो अधिकांश ने इसे गलत बताया. सोशल मीडिया पर वायरल यह पोस्ट दर्शाती है कि जब धर्म कंटेंट बन जाता है, तो उसका मूल सार खो जाता है. प्रबुद्धजनों का मानना है कि रील बनाना गलत नहीं, पर जब 'रील टाइम' पूजा से बड़ा हो जाए, तब श्रद्धा एक्टिंग लगने लगती है.

क्या सही है, क्या गलत है?

धर्मशास्त्रों के अनुसार व्रत का सार है अर्थात कर्म करते हुए भी यदि अहंकार न हो, तो वही धर्म है. इस आधार पर यदि रील ज्ञान, कथा या प्रेरणा बांटने के लिए बनाई जाए तो यह धर्मानुकूल है. लेकिन यदि मकसद व्यूज़, विज्ञापन या प्रतिस्पर्धा है, तो यह आडंबर कहलाता है.

अगर रील बनानी ही है, तो ऐसे करें कि नियम न टूटे?

  1. रील को ज्ञान या प्रेरणा का रूप दें, मनोरंजन का नहीं.
  2. कैमरा पूजा-स्थल से दूर रखें, ताकि भक्ति केंद्रित रहे.
  3. रील का समय निर्धारित करें, पूजा से पहले या बाद में, बीच में नहीं.
  4. शालीन कैप्शन प्रयोग करें, आस्था, प्रेम, व्रत, श्रद्धा जैसे शब्द.
  5. साउंडट्रैक का चयन सोच-समझकर करें, अश्लील या रील-ट्रेंडिंग बीट्स से बचें.
  6. उद्देश्य दिमाग में स्पष्ट रहे, संस्कृति को साझा करना, न कि लोकप्रियता कमाना.

रील बनाना पाप नहीं पर भावना खो जाए तो व्रत का मूल्य समाप्त हो जाता है. करवा चौथ के व्रत की शक्ति कैमरे की रोशनी से नहीं, श्रद्धा की ज्योति से आती है. जहां दिखावा बढ़े, वहां पुण्य घटता है. धर्म वही है जो भीतर के मौन में बसता है, न कि ट्रेंडिंग या हैशटैग में. इस श्लोक के भाव को कभी न भूलें- यानी केवल श्रद्धा से देव प्रसन्न होते हैं, न कि आडंबर या प्रदर्शन से.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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