Maa Guhya Kali: श्मशान में वास करने वाली देवी गुह्य काली कौन हैं? जानिए मां काली के इस गुप्त रूप के बारे में

Maa Guhya Kali: श्मशान में वास करने वाली देवी गुह्य काली कौन हैं? जानिए मां काली के इस गुप्त रूप के बारे में
By : | Updated at : 30 Oct 2025 02:17 PM (IST)

Show Quick Read Key points generated by AI, verified by newsroom Maa Guhya Kali:हिंदू धर्म में गुह्य काली परम शक्ति का एक गुप्त रूप है, जिनके बारे में बहुत कम ही बात की जाती है. मां काली के इस रूप की पूजा अत्यंत गुप्त रूप से की जाती है. वह श्मशान के दिल में रहती है, जो सिद्धियों की प्रदाता और विघ्नों का नाश करने वाली हैं. उनका आह्वान मध्यरात्रि की पूजा में केवल वही लोग कर सकते हैं, जिन लोगों के पास कई तरह की तांत्रिक शक्तियां हैं. तांत्रिक परंपरा में देवी काली के अनगिनत रूप का जिक्र किया गया है.

जिसमें महाकाली, दक्षिणा काली, श्मशान काली, भद्रकाली और कामकाली प्रमुख हैं. महाकाली संहिता में एक पूरा खंड गुह्य काली की पूजा, साधना और उग्र रूप को समर्पित है. मां गुह्य काली भयानक निवास मां गुह्य काली आठ श्मशानों के बीच में निवास करती हैं. इसमें महाघोरा, कालदंड, ज्वाला-कुल, चंड पाश, कापालिक, धूमाकुल, भीमांगरा और भूतनाथ शामिल हैं. यहां वह भैरवों, डाकिनियों, वेतालों, चामुंडों, सियारों, त्रिशूलों, शवों और खोपड़ियों से घिरी हुई है.

गुह्यकाली के यंत्र मां गुह्य काली की पूजा 18 यंत्रों के माध्यम से की जाती है. हर एक यंत्र उनसे जुड़ा होता है. जिसमें पहला यंत्र एक बिंदू, त्रिभुज, षट्भुज, पंचभुज, वृत्त, 16 पंखुड़ियों, 8 पंखुड़ियों और त्रिशूलों के साथ 4 खोपड़ियों से सुसज्जित है. उनकी पूजा 18 यंत्रों के माध्यम से की जाती है, जिनमें से प्रत्येक उनके 18 मंत्रों में से एक से जुड़ा होता है. अपने 10 मुख वाले रूप में मां गुह्यकाली आदिम प्रवृत्तियों का प्रतीक है.

द्वीपिका (तेंदुआ) केशरी (शेरनी) फेरू (सियार) वानर (बंदर) रिक्सा (भालू) नारा (स्त्री) गरुड़ (बाज) मकर (मगरमच्छ) गजा (हाथी) हया (घोड़ा) हर चेहरा प्रकृति की एक अलग शक्ति को दर्शाता है. मां गुह्य काली की 27 आंखे और 54 भुजाएं हैं, प्रत्येक हाथ में एक हथियार है. जिसमें त्रिशूल, कपाल-दण्ड, डमरू, धनुष, चक्र, अंकुश, गदा, ढाल, हल, भाला, घंटी, हथौड़ा, माला, कंकाल आदि शामिल है. उनका मानवीय चेहरा हंस रहा है, नुकीले दांतों से खून टपक रहा है, जीभ घूम रही है, और उसके सिर पर खोपड़ियां और लाशें सजी हैं. मां गुह्य काली शिव के भयानक रूपों, पांच महाभूतों पर विराजमान हैं और भैरव उनके छठे पीठ हैं.

उनके कमल सिंहासन के नीचे हर दिशा दिक्पालों द्वारा संरक्षित है और धर्म, ज्ञान, वैराग्य का प्रतिनिधित्व करती हैं. Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive. com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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