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This article highlights: कुख्यात नक्सली वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू ने अपने साथियों संग किया सरेंडर, पुलिस ने क्या बताया. In context: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नक्सल मुक्त भारत अभियान के तहत सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली है केंद्रीय सुरक्षा बल जहां अभी तक कई नक्सली कमांडरों का एनकाउंटर कर चुके हैं तो वहीं आज मंगलवार (14 अक्टूबर, 2025) को एक बड़े माओवादी नेता ने अपने समर्थकों संग सरेंडर कर दिया है. Stay tuned with The Headline World for more insights and details.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नक्सल मुक्त भारत अभियान के तहत सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली है. केंद्रीय सुरक्षा बल जहां अभी तक कई नक्सली कमांडरों का एनकाउंटर कर चुके हैं तो वहीं आज मंगलवार (14 अक्टूबर, 2025) को एक बड़े माओवादी नेता ने अपने समर्थकों संग सरेंडर कर दिया है. इसे सुरक्षा बलों की एक बड़ी जीत माना जा रहा है.
भाकपा/माओवादी के पोलित ब्यूरो सदस्य मल्लौजुला उर्फ वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू ने मंगलवार को महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित एरिया गढ़चिरौली में 60 माओवादी कार्यकर्ताओं के साथ अपने हथियार डाल दिए. वेणुगोपाल राव का सरेंडर करना कहीं न कहीं भाकपा/माओवादी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है.
माओवादी कैडरों के एक बड़े हिस्से से मिला समर्थन
केंद्रीय गृह मंत्री और देश भर की राज्य सरकारों के नेतृत्व में पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे निरंतर अभियानों का ही ये परिणाम है कि माओवादी पोलित ब्यूरो के सदस्य को हथियार डालने पर मजबूर होना पड़ा है. उन्होंने सितंबर में एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर हथियार डालने का संकेत दिया था. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक उन्हें (वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू) को छत्तीसगढ़ और देश के अन्य हिस्सों में माओवादी कैडरों के एक बड़े हिस्से से समर्थन मिला.
पुलिस ने क्या बताया
पुलिस के अनुसार वेणुगोपाल को भाकपा (माओवादी) के उत्तर उप-क्षेत्रीय और पश्चिम उप-क्षेत्रीय ब्यूरो से समर्थन मिला है, जिन्होंने मुख्यधारा में शामिल होने में रुचि दिखाई. पुलिस ने कहा कि सोनू ने 15 अगस्त को एक मौखिक और लिखित बयान जारी कर दावा किया था कि वे युद्धविराम के लिए तैयार हैं. पिछले हफ्ते ऐसी खबरें आईं थीं कि तेलंगाना के मूल निवासी वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है.
वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू ने एक पत्र में कार्यकर्ताओं से खुद की जान बचाने को लेकर आह्वान किया था, जिस कारण हथियार छोड़ने और मुख्यधारा में शामिल होने को लेकर माओवादियों में एक दरार उजागर हुई. कहा जाता है कि लेटर में उन्होंने अपने साथियों से कहा था कि वर्तमान परिस्थितियों में सशस्त्र संघर्ष जारी रख पाना आसान नहीं है.
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