विराट कोहली और रोहित शर्मा के सपोर्ट में उतरे आर अश्विन, टीम मैनेजमेंट को लेकर ये क्या कह दिया

विराट कोहली और रोहित शर्मा के सपोर्ट में उतरे आर अश्विन, टीम मैनेजमेंट को लेकर ये क्या कह दिया
By : | Edited By: निधी बाजपेई | Updated at : 09 Oct 2025 07:41 AM (IST)
Quick Summary

This article highlights: विराट कोहली और रोहित शर्मा के सपोर्ट में उतरे आर अश्विन, टीम मैनेजमेंट को लेकर ये क्या कह दिया. In context: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व ऑफ-स्पिनर रविचंद्रन अश्विन एक बार फिर सुर्खियों में हैं इस बार उन्होंने खुलकर और रोहित शर्मा का समर्थन किया है और टीम मैनेजमेंट की कार्यशैली पर बड़ा सवाल उठाया है. Stay tuned with The Headline World for more insights and details.

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व ऑफ-स्पिनर रविचंद्रन अश्विन एक बार फिर सुर्खियों में हैं. इस बार उन्होंने खुलकर और रोहित शर्मा का समर्थन किया है और टीम मैनेजमेंट की कार्यशैली पर बड़ा सवाल उठाया है. अश्विन ने अपने यूट्यूब चैनल पर बात करते हुए कहा कि भारतीय टीम में “नॉलेज ट्रांसफर” यानी अनुभव साझा करने की संस्कृति ही नहीं है. उनके मुताबिक, टीम मैनेजमेंट सीनियर खिलाड़ियों को संभालने में पूरी तरह नाकाम रहा है.

“कोहली-रोहित सिर्फ खिलाड़ी नही हैं”

अश्विन ने कहा, “एक तरफ टीम सिलेक्शन है, दूसरी तरफ कोहली और रोहित. ये दोनो खिलाड़ी एक ही सिक्के के दो भाग हैं. चयनकर्ताओं के फैसलों से यह साफ है कि वे आगे बढ़ना चाहते हैं, लेकिन सवाल यह है कि जो खिलाड़ी देश के लिए एक दशक से भी ज्यादा समय तक खेले, उनके साथ बदलाव का तरीका क्या होना चाहिए?”

उन्होंने आगे कहा कि रोहित और कोहली जैसे खिलाड़ियों को सिर्फ “बूढ़ा” कह देना आसान है, लेकिन ऐसे खिलाड़ियों का अनुभव टीम के लिए सोने से भी ज्यादा कीमती होता है. “आईपीएल में कोई युवा अच्छा खेलता है तो तुरंत तुलना शुरू हो जाती है, लेकिन कोई यह नहीं देखता कि दबाव की घड़ी में मैदान पर खड़ा रहना क्या होता है.

“नॉलेज ट्रांसफर सिर्फ शॉट सिखाना नहीं”

अश्विन ने खास तौर पर नॉलेज ट्रांसफर की बात उठाई. उनके मुताबिक, यह सिर्फ तकनीक सिखाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें मानसिक मजबूती और दबाव झेलने की क्षमता साझा करना भी शामिल है. उन्होंने कहा, “कोहली और रोहित को किसी को कुछ साबित करने की जरूरत नहीं है, लेकिन क्या भारतीय टीम में कभी यह व्यवस्था बनी कि वे युवा खिलाड़ियों को सिखा सकें कि मैच प्रेशर से कैसे निपटा जाए, इंजरी से कैसे बचा जाए?”

अश्विन ने यह भी कहा कि भारत में “ट्रांजिशन फेज” की कोई ठोस योजना नहीं होती, यानी टीम बदलाव के दौर से कैसे गुजरे, इसके लिए कोई प्लान नही होता है.

“कोचिंग में भी कोई रोडमैप नहीं”

अश्विन ने कोचिंग सिस्टम को लेकर भी कड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा, “राहुल द्रविड़ के बाद गौतम गंभीर को कोच बनाया गया, लेकिन क्या किसी ने सोचा कि द्रविड़ से ज्ञान या अनुभव का ट्रांसफर कैसे होगा? हमारे पास कोई तय टेम्पलेट ही नहीं है.”

उन्होंने अंत में उम्मीद जताई कि टीम मैनेजमेंट की रोहित और कोहली से पहले ही बातचीत हो चुकी होगी. अगर यह बात अब जाकर हुई है, तो ये गलती है. पिछले साल ही साफ बातचीत होती तो सीनियर खिलाड़ियों को सम्मान के साथ विदा किया जा सकता था.

Content compiled and formatted by TheHeadlineWorld editorial team.

📚 Related News