Sanjay Raut: अचानक इलेक्शन कमीशन का बचाव कर रहे संजय राउत! बोले- 'कभी सुनना भी चाहिए'

Sanjay Raut: अचानक इलेक्शन कमीशन का बचाव कर रहे संजय राउत! बोले- 'कभी सुनना भी चाहिए'
By : | Updated at : 10 Oct 2025 01:44 PM (IST)
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This article highlights: Sanjay Raut: अचानक इलेक्शन कमीशन का बचाव कर रहे संजय राउत! बोले- 'कभी सुनना भी चाहिए'. In context: चुनाव आयोग पर आए दिनों आरोप लगते रहे हैं, लेकिन अब शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने आयोग के पक्ष में बयान देकर राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है राउत ने कहा कि अगर चुनाव आयोग लोकतंत्र की रक्षा के लिए कुछ नियम बनाता है तो उसे सुनना भी चाहिए. Stay tuned with The Headline World for more insights and details.

चुनाव आयोग पर आए दिनों आरोप लगते रहे हैं, लेकिन अब शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने आयोग के पक्ष में बयान देकर राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है. राउत ने कहा कि अगर चुनाव आयोग लोकतंत्र की रक्षा के लिए कुछ नियम बनाता है तो उसे सुनना भी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि हर बार आयोग की आलोचना करना उचित नहीं है, क्योंकि यह संस्था लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा है.

सुप्रीम कोर्ट में चली गर्मागर्म बहस

सुप्रीम कोर्ट में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) मामले की सुनवाई के दौरान भारतीय चुनाव आयोग ने गंभीर आरोप लगाए. आयोग ने कहा कि कुछ राजनीतिक दल और एजेंसियां चुनाव आयोग के प्रयासों में सहयोग करने के बजाय जनता की धारणा को प्रभावित करने की कोशिश कर रही हैं. आयोग ने साफ शब्दों में कहा कि कुछ दल चुनाव प्रक्रिया को लेकर “नैरेटिव सेट” करना चाहते हैं, जिससे निष्पक्ष चुनावी माहौल पर असर पड़ता है.

संजय राउत ने दिया संतुलित बयान

संजय राउत ने कहा, “ठीक है, चुनाव आयोग को सुनना भी चाहिए. अगर किसी बात से लोकतंत्र को खतरा है तो आयोग का नियम बनाना गलत नहीं. हर बार चुनाव आयोग की आलोचना करना ठीक नहीं.” उनके इस बयान को राजनीतिक गलियारों में आयोग के समर्थन के रूप में देखा जा रहा है. राउत का यह रुख विपक्ष के कुछ नेताओं से अलग है, जो पिछले दिनों चुनाव आयोग की कार्यशैली पर लगातार सवाल उठा रहे थे.

पहले लगाया था बड़ा आरोप

हालांकि इससे पहले खुद संजय राउत ने ही चुनाव आयोग पर निशाना साधा था. बिहार चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद उन्होंने कहा था, “बिहार में मतदाता अधिकार यात्रा आयोजित करके, राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने निष्पक्ष चुनाव कराने के अपने दृष्टिकोण के लिए भारत के चुनाव आयोग और भाजपा की पोल खोल दी है.” उनके इस पुराने बयान और अब दिए गए समर्थन के बीच बड़ा विरोधाभास दिख रहा है. यही वजह है कि अब राजनीतिक हलकों में यह चर्चा तेज है कि राउत का रुख क्यों बदला और क्या यह आने वाले चुनावी समीकरणों से जुड़ा हुआ है.

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