Amla Navami 2025: आवंला नवमी से मानी जाती है सतयुग की शुरुआत, जानें इस दिन की पूजा विधि और महत्व

Amla Navami 2025: आवंला नवमी से मानी जाती है सतयुग की शुरुआत, जानें इस दिन की पूजा विधि और महत्व
By : | Updated at : 29 Oct 2025 05:50 PM (IST)

Amla Navami 2025:हिंदू धर्म की विशेष तिथियों में आंवला नवमी भी एक है, जोकि कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पड़ती है. आंवला नवमी का पर्व दिवाली के दस दिन बाद मनाया जाता है. अक्षय नवमी, इच्छा नवमी, कूष्मांड नवमी, आरोग्य नवमी, धातृ नवमी जैसे नामों से भी जाना जाता है. इस दिन का संबंध मुख्य रूप से भगवान विष्णु और आंवला वृक्ष से होता है. आंवला नवमी 2025 तिथि (Amla Navami 2025 Date) आंवला नवमी की डेट को लेकर लोगों के बीच कंफ्यूजन है.

इसका कारण यह है कि नवमी तिथि 30 और 31 अक्टूबर दोनों ही दिन पड़ रही है. आइए जानते हैं क्या है आंवला नवमी की सही तिथि. आंवला नवमी की पूजा शुक्रवार 31 अक्टूबर 2025 को की जाएगी. क्योंकि नवमी तिथि की शुरुआत 30 अक्टूबर को सुबह 10. 06 से होगी और 31 अक्टूबर को सुबह 10.

03 तक रहेगी. उदयातिथि के मुताबिक 31 अक्टूबर को आंवला नवमी या अक्षय नवमी मनाई जाएगी. इस दिन पूजा के लिए सुबह 06. 37 से सुबह 10. 04 तक का समय शुभ रहेगा.

अक्षय नवमी पूजा विधि (Akshay Navami Puja Vidhi) अक्षय नवमी के दिन आंवला वृक्ष की पूजा होती है. पूजा के लिए इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर लें. इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा होती है. अगर घर पर आंवला का वृक्ष हो तो उसमें भी पूजा कर सकते हैं. सबसे पहले आंवले के पेड़ की जड़ में दूध और जल चढ़ाएं.

फिर रोली, मौली, फूल, चंदन, अक्षत, धूप, दीपक, फल, मिठाई और नैवेद्य आदि अर्पित कर पूजा करें. पूजा के बाद आंवला वृक्ष की 7 बार परिक्रमा करें. आंवला नवमी की व्रत कथा का पाठ करें या सुनें. इस दिन प्रसाद के रूप में आंवला का सेवन किया जाता है. कई लोग आंवला नवमी पर आंवला वृक्ष के नीचे भोजन भी करते हैं.

आंवला नवमी का महत्व (Akshay Navami 2025 Significance) धार्मिक रूप से कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि यानी आंवला नवमी के दिन का विशेष महत्व होता है. इस तिथि पर स्नान-दान और तर्पण के साथ ही भगवान विष्णु और आंवला वृक्ष की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि, इस दिन व्रत रखकर पूजा-पाठ करने वाले साधकों को सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है. धार्मिक मान्यता है कि, अक्षय नवमी के दिन जो भी कार्य किए जाते हैं, उससे अक्षय फल यानी कभी न खत्म होने वाले या जिसका क्षरण न हो ऐसा फल प्राप्त होता है. पुराणों में तो ऐसा भी वर्णन मिलता है कि, अक्षय नवमी के दिन से ही सतयुग की शुरुआत मानी जाती है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive. com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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