बिहार स्थित सासाराम के पास स्थित कोनार गांव आज जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर के नाम से जाना जाता है. लेकिन गांव के बुजुर्ग अब भी 'डॉक्टर साहब का बेटा' कहकर उन्हें पहचानते हैं. प्रशांत किशोर कि पिता डॉ. श्रीकांत पांडे जिनकी सादगी, सेवा भावना और बुद्धिमत्ता ने दशकों तक इलाके के लोगों को प्रभावित किया. डॉ.
श्रीकांत पांडे का निधन 2019 में दिल्ली में हुआ. वे दस सालों तक स्ट्रोक से जूझते रहे. उनकी पत्नी इंदिरा पांडे जो गृहिणी थीं, उनका निधन 2017 में हो गया था. कोनार गांव में जाने-माने डॉक्टर थे प्रशांत किशोर के पिता बीबीसी न्यूज हिन्दी रिपोर्ट के अनुसार, डॉ. श्रीकांत पांडे पेशे से चिकित्सक थे और उन्होंने पटना मेडिकल कॉलेज (PMCH) से चिकित्सा की पढ़ाई की थी.
आगे की पढ़ाई उन्होंने कोलकाता से इंटरनल मेडिसिन में की. वे सिर्फ डॉक्टर नहीं, बल्कि लोगों के जीवन का सहारा थे. जब भी कोनार गांव लौटते, घर के बाहर मरीजों की भीड़ लग जाती थी. वह बिना भेदभाव हर वर्ग के लोगों का इलाज करते थे- चाहे अमीर हो या गरीब, कोई उनके दरवाजे से खाली हाथ नहीं लौटता था. गांव के लोग बताते हैं कि डॉ.
साहब सुबह तब तक नाश्ता नहीं करते थे जब तक मरीजों को देख न लें. पिता नहीं चाहते थे कि उनका बेटा प्रशांत राजनीति में आए- बलिराम पांडे प्रशांत किशोर के चाचा बलिराम पांडे बताते हैं कि भैया डॉ. श्रीकांत पांडे में जरा भी अहंकार नहीं था, जबकि वह बेहद मेधावी थे. वे गांधी और नेहरू की विचारधारा से गहराई से प्रभावित थे. राजनीति के शोर-शराबे से उन्हें हमेशा दूरी रही.
प्रशांत के पिता नहीं चाहते थे कि उनका बेटा राजनीति में आए. जब प्रशांत दक्षिण अफ्रीका में संयुक्त राष्ट्र (UN) में काम कर रहे थे, तब उनके पिता को लगा था कि बेटे ने जीवन में सही दिशा चुन ली है. लेकिन 2014 में जब प्रशांत के चुनावी कैंपेन से जुड़े, तो पिता श्रीकांत पांडे असहमत थे. बलिराम पांडे बताते हैं कि भैया ने कभी राजनीति को पसंद नहीं किया. परिवार को लगा था कि प्रशांत को राजनीति में नहीं जाना चाहिए, पर अब वो पूरी तरह राजनीति में हैं और बिहार विधानसभा 2025 का चुनाव पूरी जिम्मेदारी से लड़ रहा है.
बिहार की सियासत में नए समीकरण गढ़ रहे प्रशांत आज जब प्रशांत किशोर जनसुराज पार्टी के साथ बिहार की सियासत में नए समीकरण गढ़ने में लगे हैं, तो उनके पिता की शिक्षाएं और आदर्श अब भी उनकी दिशा तय करते दिखते हैं. प्रशांत किशोर इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में जनसुराज पार्टी को मजबूत विकल्प बनाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. उनका फोकस गांव-गांव जाकर जनता से संवाद और स्थानीय मुद्दों को केंद्र में रखने पर है. मैं भतीजे प्रशांत का प्रशंसक हूं- बलिराम पांडे बीबीसी न्यूज हिन्दी रिपोर्ट के अनुसार बलिराम पांडे अब अपने भतीजे पर गर्व करते हैं कि अब मैं प्रशांत का प्रशंसक हूं. वह जो कर रहे हैं, वो बिहार के लिए अच्छा है.
भैया (डॉ. साहब) शायद राजनीति से असहमत रहे हों, लेकिन प्रशांत के भीतर सेवा और ईमानदारी की वही भावना है जो उनमें थी. डॉ. श्रीकांत पांडे अब नहीं हैं, लेकिन उनका आदर्श और नाम आज भी कोनार गांव की पहचान है और उनका बेटा प्रशांत किशोर उसी विरासत को एक नई दिशा देने की कोशिश में है.








