दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल करके दावा किया है कि 2020 का दिल्ली दंगा सत्ता परिवर्तन की साजिश था. उमर खालिद, शरजील इमाम, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा और दिल्ली दंगे के अन्य आरोपियों की जमानत का विरोध करते हुए पुलिस ने यह दावा किया है. दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस साजिश के तहत देशभर में हिंसा फैलाने की कोशिश हुई, जिसमें उत्तर प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, केरल और कर्नाटक जैसे राज्य भी शामिल थे. उन्होंने कहा कि उमर खालिद और शरजील इमाम इसके साजिशकर्ता थे, जिन्होंने लोगों को भड़काने का काम किया. फरवरी, 2020 में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली में विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी, जिसमें 53 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों घायल हुए थे.
दिल्ली पुलिस की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, एडवोकेट राजत नायर और ध्रुव पांडे पेश हो रहे हैं. एफिडेविट में कहा गया कि 2020 दंगे की प्लानिंग अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौरे को ध्यान में रखते हुए की गई थी ताकि इंटरनेशनल मीडिया का ध्यान आकर्षित किया जा सके, देश की छवि खराब की जा सके और दुनिया को ये दिखाया जाए कि सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट () के जरिए देश में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है. इस मामले में सभी आरोपियों पर अनलॉफुल एक्टिविटीज ऑफ प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) के आरोप लगे हैं. यह डोनाल्ड ट्रंप के पिछले कार्यकाल की बात है. पुलिस ने कहा कि फरवरी, 2020 में दिल्ली में हिंसा अचानक नहीं भड़की थी, बल्कि भारत के आंतरिक सौहार्द और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को अस्थिर करने का सुनियोजित प्रयास था.
उन्होंने कहा कि यह सीएए के विरोध को हथियारों के जरिए भारत की अखंडता और संप्रभुता पर हमले की साजिश थी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दिल्ली पुलिस ने एफिडेविट में कहा है कि जांचकर्ताओं को चश्मदीदों के बयान, दस्तावेज और तकनीकी सबूत मिले हैं, जो बताते हैं कि ये एक सोची समझी साजिश थी, जिसकी टाइमिंग पहले से तय थी. पुलिस ने कहा कि हमले को जानबूझकर ट्रंप के भारत दौरे के समय पर प्लान किया गया ताकि सीएए इंटरनेशनली चर्चा का मुद्दा बने और भारत की छवि खराब की जा सके. दिल्ली पुलिस का यह भी कहना है कि उमर खालिद, शरजील इमाम, मीरान हैदर और गुलफिशा फातिमा जानबूझकर सुनवाई टाल रहे हैं. उन्होंने कहा कि आरोपी बार-बार झूठी याचिकाएं दाखिल कर रहे हैं ताकि केस की सुनवाई को लटकाया जा सके.
ये न्याय प्रक्रिया में रुकावट डालने जैसा है. अब सुप्रीम कोर्ट पुलिस के इस हलफनामे पर 31 अक्टूबर को सुनवाई करेगा.








