लखनऊ में मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने राज्य मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों के प्रतनिधियों के साथ बुधवार को बैठक की. इस बैठक में प्रदेश में जल्द ही शुरू होने जा रही है विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया को लेकर बातचीत की गई, आयोग ने इन प्रतिनिधियों को दिशा-निर्देशों और कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी दी. चुनाव आयोग ने सभी दलों से मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने में सहयोग की अपील की. मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने सभी प्रतिनिधियों से कहा कि जिला और विधानसभा स्तर पर सबसे पहला काम एसआईआर की प्रक्रिया को समझना और तमाम शंकाओं का समाधान करना जरूरी है. एसआईआर को लेकर लखनऊ में बैठक निर्वाचन अधिकारी ने सभी दलों को प्रत्येक बूथ पर बूथ लेवल एजेंट (BLA) नियुक्त करने के निर्देश दिए और कहा कि हरेक बीएलए अधिकतम 50 गणना प्रपत्र प्रतिदिन भरवाकर बीएलओ को सौंप सकेगा.
बीएलओ घर-घर जाकर गणना प्रपत्र वितरित और संग्रहित करेंगे, प्रत्येक मतदाता को पावती प्रति दी जाएगी. उन्होंने बताया कि मतदाता सूची voters. eci. gov. in और ceouttarpradesh.
nic. in पर उपलब्ध होगी. किसी मतदेय स्थल पर 1200 से अधिक मतदाता नहीं होंगे. प्रदेश में कुल 15. 44 करोड़ मतदाता और 1,62,486 मतदेय स्थल हैं.
वृद्ध, दिव्यांग, बीमार एवं वंचित वर्गों के लिए वालंटियर तैनात किए जाएंगे. सीईओ ने कहा कि बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) क्षेत्र के निवासी होने के नाते आवंटित समय के भीतर घर-घर जाकर सत्यापन पूरा कर सकेंगे. इसके लिए राजनीतिक दलों के सहयोग की भी आवश्यकता होगी. दावे एवं आपत्तियों की सुनवाई जिला मजिस्ट्रेट और मुख्य निर्वाचन अधिकारी करेंगे. उन्होंने कहा कि शुद्ध मतदाता सूची मजबूत लोकतंत्र की आधारशिला है.
एसआईआर के लिए समयसीमा निर्धारण - 3 नवम्बर तक तैयारी व गणना प्रपत्रों का मुद्रण- 4 नवम्बर से 4 दिसम्बर 2025 तक घर-घर जाकर प्रपत्र वितरण व संकलन होगा. - 9 दिसम्बर 2025 को ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशन- 9 दिसम्बर 2025 से 08 जनवरी 2026 तक दावे/आपत्तियों की अवधि- 7 फरवरी 2026 को अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन होगा. बता दें कि यूपी में एसआईआर की प्रक्रिया शुरू होने से पहले समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. सपा प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल पाल ने एक चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर एसआईआर की प्रक्रिया में लगे अधिकारियों और कर्मचारियों की पोस्टिंग जाति व धर्म के आधार के पर करने का आरोप लगाया है. उन्होने चुनाव आयोग से निष्पक्ष और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की माँग की.








