Chaturmas 2025: चातुर्मास का सिर्फ हिन्दू ही नहीं, बौद्ध और जैन धर्म में भी विशेष महत्व, जानिए कैसे?

Chaturmas 2025: चातुर्मास का सिर्फ हिन्दू ही नहीं, बौद्ध और जैन धर्म में भी विशेष महत्व, जानिए कैसे?
By : | Edited By: Ankur Agnihotri | Updated at : 30 Oct 2025 09:29 AM (IST)

Show Quick Read Key points generated by AI, verified by newsroom Chaturmas 2025:चातुर्मास का स्वामी भगवान विष्णु को माना गया है. यह अवधि न केवल हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखती है बल्कि अन्य धर्म जैसे बौद्ध और जैन धर्म में भी इसका विशेष महत्व माना गया है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार चातुर्मास में किसी भी प्रकार के मांगिलक कार्य नहीं किए जाते हैं. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ मास में आने वाली देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत मानी जाती है. मान्यता है कि इस दिन यह भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करने चले जाते हैं.

इसके बाद वह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन पुनः निद्रा से जागते हैं. इसलिए इस तिथि को देवउठनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है. इन दोनों एकादशी के बीच की अवधि को चातुर्मास कहा जाता है. जैन धर्म में पर्युषण जैन धर्म में भी इस अवधि का विशेष महत्व है. जैन परम्परा के अनुसार, आषाढ़ी पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक के समय का समय चातुर्मास कहलाता है.

चातुर्मास में ही जैन धर्म का सबसे प्रमुख पर्व पर्युषण भी मनाया जाता है. जैन धर्म के अनुयायी वर्ष भर पैदल चलकर भक्तों के बीच अहिंसा और सत्य आदि शिक्षाओं का प्रचार करते हैं, वहीं चातुर्मास में जैनमुनि किसी स्थान पर ठहरकर उपवास, मौन-व्रत, ध्यान-साधना आदि करते हैं. चातुर्मास की अवधि में प्रकृति में नए जीवन का संचार हो रहा होता है. माना जाता है कि इस दौरान कई प्रकार के कीड़े, सूक्ष्म जीव जो आंखों से दिखाई नहीं देते वे सर्वाधिक सक्रिय होते हैं. इसलिए जैन धर्म में माना गया है कि मनुष्य के अधिक चलने-फिरने से इन जीवों को नुकसान पहुंच सकता है और जैन धर्म अहिंसा को महत्व देता है.

इसलिए चातुर्मास के दौरान जैन अनुयायी एक ही स्थान पर रहकर साधना करते हैं. बौद्ध धर्म में भी विशेष महत्व जैन धर्म की तरह ही बौद्ध धर्म में भी चातुर्मास का विशेष महत्व माना गया है. बौद्ध धर्म भी अहिंसा का सर्वोपरि मानता है, जिस कारण बौद्ध धर्म के अनुयायी भी चातुर्मास की 4 महीने की अवधि में कई तरह के नियमों का पालन करते हैं. जिसके अनुसार, साधु-संत, ज्ञान की प्राप्ति के लिए एक ही स्थान पर रहकर अराधना करते हैं. Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.

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