बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार विरासत की सियासत में बाहुबलियों ने समाजवादियों को पूरी तरह पीछे छोड़ दिया है. जहां एक ओर बड़े समाजवादी नेताओं के वारिस टिकट पाने के लिए दर-दर भटके. वहीं बाहुबलियों के बेटे, बेटियां और परिजन बैठे-बिठाए टिकट से नवाजे गए. दिलचस्प बात यह है कि यह स्थिति किसी एक दल में नहीं, बल्कि सभी प्रमुख राजनीतिक दलों- राजद, जदयू, बीजेपी और कांग्रेस में देखने को मिली है. कभी समाजवाद का गढ़ हुआ करता था बिहार समाजवाद का कभी गढ़ रहे बिहार में इस बार समाजवादी परिवारों के कई नाम टिकट से वंचित रह गए.
देश में समाजवाद के बड़े चेहरों में गिने जाने वाले शरद यादव के पुत्र शांतनु यादव और पुत्री सुभासिनी यादव दोनों की इच्छा थी कि वे चुनाव मैदान में उतरें, लेकिन दोनों को टिकट नहीं मिला. सुभासिनी ने पिछली बार कांग्रेस के टिकट पर बिहारीगंज से चुनाव लड़ा था, पर हार गईं. इस बार भी महागठबंधन ने उन्हें मौका नहीं दिया. इसी तरह शांतनु मधेपुरा से चुनाव लड़ना चाहते थे, पर उनकी दावेदारी भी ठुकरा दी गई. बिहार चुनाव में इन लोगों को फिर नहीं मिला मौका बीपी मंडल के पोते निखिल मंडल, जिन्होंने पिछली बार जदयू के टिकट पर मधेपुरा से चुनाव लड़ा था, इस बार पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया.
जदयू के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह के पुत्र प्रशांत सोनू भी डुमरांव से टिकट के इच्छुक थे, पर उन्हें भी निराशा हाथ लगी. वहीं, रामजतन शर्मा और अखिलेश सिंह जैसे नेताओं के पुत्रों को भी टिकट नहीं मिला. इसके विपरीत, बाहुबलियों और उनके परिजनों के लिए सभी दलों के दरवाजे खुले रहे. राजद ने दिवंगत बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब को सीवान के रघुनाथपुर से टिकट दिया है. इसी तरह मुन्ना शुक्ला की बेटी शिवानी शुक्ला को लालगंज से प्रत्याशी बनाया गया है.
मुन्ना शुक्ला इन दिनों जेल में बंद हैं. बाहुबलियों से किसी दल को परहेज नहीं बिहार की राजनीति में अब यह साफ दिख रहा है कि किसी दल को बाहुबलियों से परहेज नहीं है, न ही बाहुबलियों को किसी दल से है. इस बार छह से अधिक बाहुबलियों ने पाला बदला है. सूरजभान सिंह, मुन्ना शुक्ला और बोगो सिंह अब राजद खेमे में हैं, जबकि राजबल्लभ यादव और आनंद मोहन जदयू में शामिल हो चुके हैं. बीजेपी ने भी बाहुबली परिवारों पर भरोसा जताया है.
मोकामा से सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी राजद प्रत्याशी हैं, जबकि जदयू ने वहीं से अनंत सिंह को मैदान में उतारा है. नवादा से राजबल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी जदयू प्रत्याशी हैं. आनंद मोहन के पुत्र चेतन आनंद को जदयू ने नवीनगर से टिकट दिया है. प्रभुनाथ सिंह के पुत्र रणधीर सिंह मांझी से, जबकि उनके भाई केदार सिंह बनियापुर से भाजपा के उम्मीदवार हैं. वारिसलीगंज से राजद की अनीता देवी को मैदान राजद ने वारिसलीगंज से अशोक महतो की पत्नी अनीता देवी को मैदान में उतारा है, जबकि बीजेपी ने वहां से अखिलेश सिंह की पत्नी अरुणा देवी को टिकट दिया है.
बीजेपी ने सुनील पांडेय के बेटे विशाल पांडेय को तरारी से फिर उम्मीदवार बनाया है. उनके भाई हुलास पांडेय लोजपा (रामविलास) के टिकट पर ब्रहमपुर से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं बोगो सिंह इस बार मटिहानी से राजद उम्मीदवार हैं. कुल मिलाकर, इस बार बिहार चुनाव में बाहुबलियों की विरासत और उनकी राजनीतिक पकड़ पहले से कहीं अधिक मजबूत दिख रही है, जबकि समाजवादियों के घरों की रोशनी टिकट की लड़ाई में मंद पड़ गई है.







