Show Quick Read Key points generated by AI, verified by newsroom चीन ने टेक्नोलॉजी के मामले में एक और कमाल करते हुए दुनिया के पहले बड़े अंडरवाटर डेटा सेंटर (UDC) के निर्माण का पहला चरण पूरा कर लिया है. शंघाई के लिन-गैंग स्पेशल एरिया में स्थित इस डेटा सेंटर को बनाने में 226 मिलियन डॉलर की लागत आएगी. बता दें कि डेटा सेंटर को कूलिंग के लिए खूब एनर्जी की जरूरत होती है. इस लिहाज से देखा जाए तो चीन का यह प्रोजेक्ट एनर्जी-एफिशिएंट कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की दिशा में बड़ा कदम है. पानी के नीचे क्यों बनाया गया डेटा सेंटर? रिपोर्ट्स के मुताबिक, डेटा सेंटर को चलाने के लिए एनर्जी की बढ़ती हुई डिमांड को देखते हुए इस डेटा सेंटर को डिजाइन किया गया है.
पानी के नीचे बने इस डेटा सेंटर की सबसे बड़ी खूबी इसका कूलिंग सिस्टम है. आमतौर पर जमीन पर बने डेटा सेंटर की कुल एनर्जी लागत में से 50 प्रतिशत हिस्सा उन्हें ठंडा रखने के लिए ही खर्च हो जाता है. चीन ने इसका तोड़ निकालते हुए डेटा सेंटर को पानी के नीचे ही बना दिया. इसका फायदा यह होगा समुद्र का पानी ही इसके लिए लगातार नैचुरल कूलिंग सिस्टम का काम करेगा और इसमें एयर कंडीशनिंग के लिए एनर्जी की जरूरत नहीं पड़ेगी. कम हो जाएगी एनर्जी की डिमांड रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस अंडरवाटर डेटा सेंटर को कूलिंग के लिए जमीन पर बने सेंटर के मुकाबले 10 प्रतिशत कम एनर्जी की जरूरत होगी.
इसकी कुल पावर कैपेसिटी 24 मेगावॉट है और यह मुख्यत: विंड एनर्जी से सप्लाई हो रही है. OpenAI ने की अमेरिकी सरकार से की एनर्जी कैपेसिटी बढ़ाने की मांग AI की रेस में डेटा सेंटर जरूरी होते जा रहे हैं और इन्हें चलाने के लिए एनर्जी की जरूरत होती है. हाल ही में OpenAI ने अमेरिकी सरकार से एनर्जी कैपेसिटी को बढ़ाने की मांग की है. कंपनी का कहना है कि अगर इस और ध्यान नहीं दिया जाता है तो AI की रेस में अमेरिका को पछाड़कर चीन आगे चला जाएगा.








