कर्ज से उपजा मानसिक तनाव: भारत का नया अदृश्य संकट?

कर्ज से उपजा मानसिक तनाव: भारत का नया अदृश्य संकट?
By : | Updated at : 10 Oct 2025 03:49 PM (IST)
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This article highlights: कर्ज से उपजा मानसिक तनाव: भारत का नया अदृश्य संकट?. In context: मुंबई: आज के भारत में, विकास की चमक और आधुनिकता की रफ्तार में एक खामोश, अनदेखा संकट पनप रहा है- यह है कर्ज से उपजा मानसिक तनाव यह सिर्फ एक आर्थिक समस्या नहीं, बल्कि एक मानसिक बीमारी है जो धीरे-धीरे हमारे समाज की नींव को खोखला कर रही है. Stay tuned with The Headline World for more insights and details.

मुंबई: आज के भारत में, विकास की चमक और आधुनिकता की रफ्तार में एक खामोश, अनदेखा संकट पनप रहा है- यह है कर्ज से उपजा मानसिक तनाव. यह सिर्फ एक आर्थिक समस्या नहीं, बल्कि एक मानसिक बीमारी है जो धीरे-धीरे हमारे समाज की नींव को खोखला कर रही है. यह वह 'साउंड्स ऑफ साइलेंस' (SOS) है, जिसे अक्सर लोग सुनते हैं, महसूस करते है पर समझना नहीं चाहते. यह उन लोगों की खामोश चीख है जो EMI और लोन के जाल में फंसकर अपनी मानसिक शांति खो चुके हैं.

एक वक्त था जब हर कोई जरूरत पड़ने पर ही कर्ज लेता था. पर आजकल, 'आज खर्च कर लेते है, कल चुकाएंगे' की मानसिकता ने इसे जीवनशैली का हिस्सा बना दिया है. क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन, होम लोन, कार लोन, BNPL ये सब सहूलियतें देने वाले माध्यम से ज्यादा, एक मानसिक बोझ बन चुके हैं. जब नौकरी जाती है, व्यापार में नुकसान होता है, या अप्रत्याशित खर्चे आते हैं, तो यही कर्ज का जाल तनाव का कारण बन जाता है. EMI का दबाव, बैंक से आने वाले फोन, और हर दिन बढ़ता ब्याज ये सब मिलकर एक ऐसा तनाव पैदा करते हैं जो नींद छीन लेता है, रिश्तों में दरार डालता है, और व्यक्ति को समाज से अलग कर देता है.

"वित्तीय तनाव अब एक व्यक्तिगत समस्या नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य संकट है. 'साउंड्स ऑफ़ साइलेंस (SOS)' योजनाके ज़रिए, हम इस चुप्पी को तोड़ रहे हैं. हमारा स्पष्ट मानना हैः वित्तीय स्वतंत्रता की नींव मानसिक शांति से ही शुरू होती है. हम हर भारतीय को निःशुल्क, आलोचना-मुक्त समाधान प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं."-Harish Parmar, संस्थापक, Single Debt

कर्ज का बोझ सिर्फ आपकी Financial Conditions को प्रभावित नहीं करता, बल्कि यह सीधे तौर पर आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर हमला करता है. जब EMI चुकाने का दबाव बढ़ता है, तो मन में तनाव, Hormones जैसे कि Cortisol, का स्तर बढ़ जाता है. यह लगातार तनाव Anxiety और Depression को जन्म दे सकता है. आपको नींद न आने (insomnia) जैसी समस्सा, ध्यान केंद्रित न कर पाना, और हर समय चिड़चिड़ापन महसूस होना जैसी दिक्कतें शुरू हो सकती हैं. इसके अलावा, अचानक से डर, सांस फूलने और दिल की धड़कन अचानक तेज होने जैसी शारीरिक समस्या महसूस करता है. इस तरह का निरंतर मानसिक दबाव व्यक्ति की सोचने समझने की क्षमता को प्रभावित करता है और उन्हें सही निर्णय लेने से रोकता है, जिससे वे कर्ज के जाल में और भी गहराई तक फंसते जाते हैं.

"वित्तीय संकट के परिणाम तनाव तक सीमित नहीं रहते, और एक व्यक्ति के आत्म-सम्मान, रिश्तों और संपूर्ण जीवन संतुलन को प्रभावित करते हैं. आर्थिक कठिनाई और मानसिक स्वास्थ्य के बीच गहरे संबंध को पहचानना महत्वपूर्ण है. आलोचना की जगह सहानुभूति और समझ अपनाने से, हम एक साझा संवाद शुरू कर सकते हैं जो सीधे समग्र (होलीस्टिक) समाधानों की ओर ले जाता है." दिस्कित अंगमो, प्रमुख, मन टॉक्स

यह सिर्फ एक धारणा नहीं, बल्कि कठोर सच्चाई है. WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 5.6 करोड़ लोग Depression और 3.8 करोड़ लोग चिंता Anxiety से पीड़ित हैं. यह आंकड़ा कोविड के बाद और भी बढ़ गया है, क्योंकि इस दौरान आर्थिक अनिश्चितता चरम पर थी. इंडियन जर्नल ऑफ साइकाइट्री के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में प्रति 1 लाख लोगों पर केवल 0.75 मनोचिकित्सक हैं. यह दिखाता है कि समस्सा तो बड़ी है, लेकिन मदद पाने के साधन बहुत कम हैं.

राहुल, एक 35 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर, ने होम लोन लेकर अपने सपनों का घर खरीदा. सब ठीक चल रहा था, तभी उसकी नौकरी चली गई. महीनों तक नौकरी नहीं मिली और EMI का बोझ उसे परेशान करने लगा. बाहर से मुस्कुराता, पर अंदर से वह टूट चुका था.

तनाव इतना बढ़ा कि उसने दोस्तों और परिवार से दूरी बना ली. उसे लगने लगा कि वह हार गया है और हर कोई उसे जज कर रहा है. वह अपनी परेशानी किसीको बता नहीं पाया. तनाव की चरम सीमा पर था.

समय पर, एक दोस्त ने उसके व्यवहार में बदलाव देखा और उससे बात की. उसे Financial and Mental Health Counseling के लिए प्रेरित किया. राहुल की कहानी उन लाखों लोगों की कहानी है जो अकेले ही कर्ज और तनाव से जूझ रहे हैं. यह दिखाती है कि समय पर मदद और सही बातचीत कैसे किसी की जिंदगी बचा सकती है.

यह अदृश्य संकट हमारे समाज में बहुत अंदर तक फैल चुका है, लेकिन इसका समाधान भी हमारे बीच ही है. SingleDebt द्वारा शुरू की गई , मन टॉक्स (एन जी ओ) के साथ मिलकर जैसी पहल इसी समाधान का एक अहम हिस्सा हैं. इसका उद्देश्य Financial Mental Health पर खुली चर्चा शुरू करना है और यह बिना किसी शुल्क या आलोचना के प्रोफेशनल समाधान भी प्रदान करते हैं.

SOS पहल मुख्झ रूप से तीन स्तंभों पर आधारित है. पहला स्तंभ है जागरूकता फैलाना: Financial Literacy को मानसिक स्वास्थ्य के साथ जोड़ना. लोगों को यह समझाना कि कर्ज एक आर्थिक माध्यम है, न कि आपकी पहचान. हमें यह बताना होगा कि लोन चुकाने में असमर्थ होने पर शर्मिंदा होने के बजाय, मदद मांगना ज्यादा समझदारी है.

दूसरा और तीसरा स्तंभ मिलकर सहायता प्रदान करते हैं. सुरक्षित मंच प्रदान करना दूसरा मुख्य संभ है, एक ऐसा मंच बनाना जहां लोग बिना किसी डर या शर्म के अपनी आर्थिक परेशानियों और उससे जुड़े मानसिक तनाव के बारे में खुलके बात कर सकें. यह पहल एक निःशुल्क हेल्पलाइन, ऑनलाइन मंच के माध्यम से काम करती है, जहाँ मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर मौजूद रहते हैं.

वहीं, तीसरा स्तंभ प्रोफेशनल मदद के रूप में, Mental Health Professional और Financial Advisors को एक साथ लाना है ताकि सभी लोगों को एक ही जगह पर दोनों तरह की निःशुल्क मदद मिल सकें. मानसिक तनाव से जूझ रहे व्यक्ति को सिर्फ सांत्वना नहीं, बल्कि एक Debt Management Plan की जरूरत होती है ताकि वह अपने कर्ज को अच्छे से मैनेज कर सके और अपने जीवन को फिर से बिना तनाव के जी सके. इसके अतिरिक्त, तनाव कम करने के लिए Mindfulness Audio Series भी निशुल्क उपलब्ध कराई गयी है.

यह संकट सिर्फ सरकार या किसी संस्था का नहीं, बल्कि हम सबका है. हर घर में, हर परिवार में, एक राहुल हो सकता है जो खामोशी से दर्द सह रहा हो. इस आर्टिकल के माध्यम से, हम सभी से अपील करते हैं, अपने आसपास के लोगों को देखें. अगर कोई अचानक शांत रहने लगे, सामाजिक दूरी बनाने लगे, या चिड़चिड़ा हो जाए, तो उससे बात करें. उसे बताएं कि Financial Stress एक आम समस्या है और मदद लेना कमजोरी नहीं, बल्कि बहादुरी की निशानी है.

आइए, इस 'साउंड्स ऑफ साइलेंस" (SOS) के पहल से जुड़े और एक ऐसा समाज बनाएं जहां कर्ज का बोझ किसी की जिंदगी पर भारी न पड़े. क्योंकि जब हम चुप्पी तोड़ते हैं, तो उम्मीद की आवाज सुनाई देती है.

डिस्क्लेमर: यह स्पॉन्सर्ड आर्टिकल है. एबीपी नेटवर्क प्रा. लि. और/या एबीपी लाइव इस लेख के कंटेंट या इसमें व्यक्त विचारों का किसी भी रूप में समर्थन या अनुमोदन नहीं करता है. पाठकों से अनुरोध है कि वे अपनी समझ से निर्णय लें.

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