दिल्ली HC में अपनी बेटी को देख रो पड़ीं जस्टिस तारा गंजू, भावुक होकर बोलीं- 'तुम रोना मत, नहीं तो...'

दिल्ली HC में अपनी बेटी को देख रो पड़ीं जस्टिस तारा गंजू, भावुक होकर बोलीं- 'तुम रोना मत, नहीं तो...'
By : | Updated at : 30 Oct 2025 12:38 PM (IST)

जस्टिस तारा वितस्ता गंजू ने सोमवार (27 अक्टूबर) को दिल्ली हाई कोर्ट से विदाई ली और अब वे कर्नाटक हाई कोर्ट में अपना नया कार्यकाल संभालेंगी. अपने विदाई भाषण में उन्होंने परिवार और सहयोगियों के प्रति गहरी कृतज्ञता जताई. इस दौरान एक ऐसा पल आया जिसने सबका दिल छू लिया- जब उन्होंने मंच से अपनी बेटी की आंखों में आंसू देख कर भावुक होते हुए कहा, “रोना मत, अगर तुम रोओगी तो मैं भी रो दूंगी. ” अदालत कक्ष में उस पल की सन्नाटा और स्नेह सबको भावुक कर गया. भावुक पल में दिखा मां-बेटी का गहरा रिश्ता भाषण के दौरान जस्टिस गंजू ने कई बार अपने परिवार का उल्लेख किया और कहा कि न्यायाधीश का जीवन अक्सर एकांत का होता है, लेकिन उनका परिवार हमेशा उनके साथ खड़ा रहा.

उनकी बेटी की आंखों में आंसू देखकर उन्होंने मुस्कराते हुए कहा कि “अगर तुम रोओगी तो मैं भी रो दूंगी. ” इसके बाद उन्होंने खुद को संभाला और शांत भाव से आगे का भाषण पढ़ा. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में सेवा करना उनके जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा और अब वे उसी समर्पण के साथ कर्नाटक हाई कोर्ट में अपनी नई जिम्मेदारी निभाएंगी. कौन हैं जस्टिस तारा वितस्ता गंजू? जस्टिस तारा वितस्ता गंजू का जन्म 1971 में नई दिल्ली में हुआ था. वे पहली पीढ़ी की वकील हैं.

उन्होंने 1992 में लेडी श्रीराम कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक (ऑनर्स) और 1995 में दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की. 1999 में ब्रिटिश चिवनिंग स्कॉलरशिप के तहत इंग्लैंड के यॉर्क स्थित कॉलेज ऑफ लॉ से कॉमर्शियल लॉ का कोर्स पूरा किया और 2005 में अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण और विलय में डिप्लोमा प्राप्त किया. इसके अलावा 2018 में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट के "समाधान" केंद्र से मध्यस्थ (Mediator) के रूप में प्रमाणित किया गया था और उन्होंने अमेरिका के पेपरडाइन लॉ स्कूल में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में भी भाग लिया. न्यायिक यात्रा और उपलब्धियां बेंच पर आने से पहले जस्टिस गंजू ने दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सिविल, आर्बिट्रेशन, कंपनी, आपराधिक और बौद्धिक संपदा से जुड़े मामलों की पैरवी की. वे कई संस्थाओं की कानूनी सलाहकार रही हैं और अदालतों में मध्यस्थ, पंच तथा अमाइकस क्यूरी (न्यायिक सहायक) के रूप में भी सेवा दी है.

वे “वीमेन इन लॉ एंड लिटिगेशन (WILL)” एसोसिएशन की कार्यकारी सदस्य भी रही हैं. उन्हें 18 मई 2022 को दिल्ली हाई कोर्ट की स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था और अब 28 अक्टूबर 2025 को कर्नाटक हाई कोर्ट में स्थानांतरित होकर उन्होंने पद की शपथ ली. उनकी यह नई यात्रा न्यायिक क्षेत्र में उनके अनुभव और समर्पण की नई दिशा तय करेगी.

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