नई बीमारियों और गंभीर रोगों से बचाव के लिए वैक्सीन सबसे कारगर हथियार मानी जाती है. लेकिन किसी भी वैक्सीन का सफर आसान नहीं होता. इसे आम लोगों तक पहुंचने से पहले कई साल की रिसर्च, टेस्ट और क्लिनिकल ट्रायल से गुजरना पड़ता है. यही वजह है कि एक वैक्सीन तैयार होने में 10 से 15 साल तक का समय लग सकता है. आइए जानते हैं कि एक वैक्सीन बाजार में आने से पहले किन चरणों से गुजरती है और रूस की नई कैंसर वैक्सीन के लिए हमें कितना इंतजार करना होगा.
वैक्सीन डेवलपमेंट के स्टेप्स
Exploratory Research
इस चरण में वैज्ञानिक यह खोजते हैं कि किस प्रोटीन, जीन या मॉलिक्यूल के जरिए शरीर को बीमारी से बचाया जा सकता है. यह चरण 2 से 4 साल तक चल सकता है.
Preclinical Trials
यहां वैक्सीन को जानवरों पर टेस्ट किया जाता है ताकि यह देखा जा सके कि यह सुरक्षित है या नहीं और इसका असर कितना है. अगर यह चरण सफल रहता है, तो इंसानों पर परीक्षण की इजाजत मिलती है.
Clinical Trials (इंसानों पर टेस्ट)
Phase I: कम संख्या में लोगों (20-100) पर वैक्सीन दी जाती है और सुरक्षा (safety) देखी जाती है.
Phase II: सैकड़ों लोगों पर टेस्ट होता है. इसमें सही डोज़ और शुरुआती प्रभावकारिता (efficacy) देखी जाती है.
Phase III: हजारों लोगों पर परीक्षण होता है. यह सबसे बड़ा और अहम चरण है, जिसमें वैक्सीन के असली नतीजे सामने आते हैं.
2021 में प्रकाशित Nature Reviews Drug Discovery की एक स्टडी के अनुसार, औसतन किसी वैक्सीन को Exploratory Research से लेकर Approval तक पहुंचने में 10 साल से अधिक समय लग सकता है, और केवल 6–7 प्रतिशत ही सफल होकर बाजार तक पहुंच पाती हैं.
Regulatory Approval
फेज III के सफल होने के बाद, डेटा नियामक संस्थाओं जैसे FDA (अमेरिका), EMA (यूरोप), CDSCO (भारत) को भेजा जाता है. जब ये एजेंसियां संतुष्ट होती हैं, तभी वैक्सीन को बाजार में बेचने की अनुमति दी जाती है.
Phase IV (Post Marketing Surveillance)
वैक्सीन आने के बाद भी उसकी निगरानी जारी रहती है ताकि किसी तरह के साइड इफेक्ट्स या नई समस्याओं को ट्रैक किया जा सके.
रूस की कैंसर वैक्सीन: अभी कितनी दूर मंजिल?
रूस ने हाल ही में एक AI-पर्सनलाइज्ड mRNA कैंसर वैक्सीन तैयार की है. इसका मकसद हर मरीज के कैंर के जीन को समझकर उसके हिसाब से वैक्सीन बनाना है. यह तकनीक बेहद आधुनिक और पर्सनलाइज्ड है. रिपोर्ट्स के अनुसार, यह वैक्सीन Preclinical Trials में सफल रही है. फिलहाल यह वैक्सीन Regulatory Approval का इंतजार कर रही है ताकि इंसानों पर इसका पहला क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो सके. माना जा रहा है कि यह वैक्सीन रूस के नागरिकों को मुफ्त दी जाएगी और इसका खर्च सरकार उठाएगी. हालांकि, कई रिपोर्ट में इस बात का जिक्र था कि लोगों को कुछ पैसे भी देने पड़ सकते हैं.
मुश्किल होता है सफर
वैक्सीन को मार्केट तक पहुंचने में लंबा समय लगता है. Nature Reviews Drug Discovery की रिसर्च भी यही बताती है कि एक वैक्सीन का सफर लंबा और मुश्किल होता है. रूस की कैंसर वैक्सीन ने शुरुआती टेस्ट में अच्छे नतीजे दिए हैं, लेकिन इसे इंसानों तक पहुंचने में अभी और कई चरण बाकी हैं. अगर ट्रायल सफल रहते हैं, तो आने वाले कुछ सालों में कैंसर के इलाज की दिशा बदल सकती है.
Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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