105 अरब के घाटे में फंसी एयरलाइंस कंपनियां, क्या बढ़ने वाले हैं टिकट का दाम

105 अरब के घाटे में फंसी एयरलाइंस कंपनियां, क्या बढ़ने वाले हैं टिकट का दाम
By : | Edited By: सुगम सिंह | Updated at : 29 Oct 2025 02:23 PM (IST)

Show Quick Read Key points generated by AI, verified by newsroom ICRA airline loss report 2025: भारतीय एयरलाइंस कंपनियों के लिए एक बुरी खबर सामने आ रही है. रेटिंग एजेंसी ICRA ने अपनी हालिया रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2026 में भारतीय एयरलाइंस के घाटे का आंकड़ा पेश किया है. इन आंकड़ों से पता चल रहा है कि, अगले साल एयरलाइंस कंपनियों के लिए अच्छा नहीं रहने वाला है. रिपोर्ट में भारतीय एयरलाइंस कंपनियों का शुद्ध वित्तीय घाटा 95 से 105 अरब रुपए के बीच रहने का अनुमान लगाया गया है. जिससे हवाई यात्रा करने वालो को यात्रियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.

एयरलाइंस कंपनियों के घाटा बढ़ने से हवाई किराया में बढ़ोतरी हो सकती है. साथ ही सुविधाओं में भी कटौती की जा सकती है. वित्तीय वर्ष 2025 की बात करें तो, एयरलाइंस कंपनियों का घाटा 55 अरब रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था. वहीं अगले ही साल इसमें दोगुनी वृद्धि की गई है. घरेलू उड़ानें भी हो रही कम घरेलू यात्रा करने वालो की संख्या में कमी देखी जा रही है.

पिछले साल के सितंबर महीने के आंकड़े की बात करें तो, घरेलू हवाई यात्रा की संख्या 130. 3 लाख थी. जो सितंबर 2025 में गिरकर 128. 5 लाख रह गई है. यानी कि, इसमें 1.

4 प्रतिशत की गिरावट है. साथ ही अगस्त महीनें में भी इसमें कमी देखी गई थी. हालांकि, घरेलू उड़ानों की धीमी रफ्तार के बावजूद भी अंतरराष्ट्रीय रूट्स पर भारतीय एयरलाइंस के लिए हालात बेहतर नजर आ रहे हैं. अगस्त 2025 में करीब 29. 9 लाख लोगों ने अंतरराष्ट्रीय यात्रा की थी.

जो पिछले साल की तुलना में लगभग 7. 8 प्रतिशत ज्यादा है. फ्यूल की कीमतों ने बढ़ाई चिंता ICRA की जारी रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है कि, एयरलाइंस कंपनियों के बढ़ते घाटे की बड़ी वजह उनकी बढ़ती ऑपरेशनल कॉस्ट है. इसमें सबसे ज्यादा असर विमान के ईंधन यानी एविएशन टरबाइन फ्यूल (ATF) का होता है. सिर्फ अक्टूबर 2025 में ही एटीएफ की कीमतों में 3.

3 प्रतिशत की उछाल दर्ज की गई है. बढ़ते दामों से एयरलाइंस पर खर्च का बोझ और आ गया है. इसके अलावा डॉलर के लगातार मजबूत होने से एयलाइंस कंपनियों को वित्तीय बोझ बढ़ रहा है. जरूरी सामान और कल पुर्जे, विमान का किराया इन सभी का भुगतान डॉलर में किया जाता है. रुपया कमजोर होने से एयरलाइंस कंपनियों को ज्यादा पैसो का भुगतान करना पड़ता है.

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