रेयर अर्थ को लेकर नरम पड़े चीन के तेवर, 3 कंपनियों को दी आयात की मंजूरी

रेयर अर्थ को लेकर नरम पड़े चीन के तेवर, 3 कंपनियों को दी आयात की मंजूरी
By : | Edited By: सुगम सिंह | Updated at : 30 Oct 2025 01:11 PM (IST)

Rare Earth import India: रेयर अर्थ को लेकर भारत और पड़ोसी देश चीन के बीच चल रहे विवाद के बीच एक अच्छी खबर सामने आई है. भारती की तीन कंपनियों को चीन से रेयर अर्थ आयात करने की मंजूरी मिल गई हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कॉन्टिनेंटल इंडिया, हिटाची और Jay Ushin कंपनी को यह मंजूरी मिली है. चीन की ओर से इस आयात को लेकर कुछ पाबंदियां भी लगाई गई है. चीन ने साफ तौर पर कहा कि, इन रेयर अर्थ मैग्रेट का इस्तेमाल रक्षा उपकरणों को बनाने में नहीं किया जा सकता है.

साथ ही इन संसाधनों की अमेरिका निर्यात पर भी रोक रहेगी. चीन के पास है रेअर अर्थ का खजाना चीन पूरी दुनिया में मौजूद रेयर अर्थ का 80 फीसदी हिस्सा नियंत्रित करता है. भारत रेयर अर्थ के लिए चीन पर बहुत अधिक निर्भर है. हाल ही में चीन के द्वारा रेयर अर्थ मैग्नेट्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया था. जिससे भारत में इसकी कमी होने की संभावनाएं बढ़ गई थी.

अगर आंकड़ों की बात करें तो, वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत ने चीन से 870 टन रेयर अर्थ मैग्नेट्स का आयात किया है. हालांकि, इस प्रतिबंध के बाद भारत दूसरे विकल्पों पर भी काम कर रहा है. जिससे चीन पर उसकी निर्भरता कम हो सके. भारत के पास सीमित है भंडार भारत के केरल, तमिलनाडु, ओडिशा, गुजरात और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में रेयर अर्थ के भंडार मौजूद है. भारत के पास दुनिया का लगभग 6 प्रतिशत रेयर अर्थ मौजूद है.

भारत और चीन के बीच रेयर अर्थ को लेकर विवाद काफी समय से चल रहा है. भारती की बढ़ती टेक्नोलॉजी और प्रगति पर रोक लगाने के लिए चीन की ओर से रेयर अर्थ पर पाबंदियां लगाई गई थी. इन रेयर अर्थ का इस्तेमाल बैटरी, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, आधुनिक मशीन और विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता हैं. अपनी विशेष गुणों के कारण रेयर अर्थ मेटल्स की मांग पूरी दुनिया में बनी रहती है. चीन रेयर अर्थ के सबसे बड़े निर्यातक देशों में से एक है.

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