Lack of Sleep Disease: हर रात आप खुद बर्बाद करते हैं अपना हार्ट, यह आदत पहुंचा देती है मौत के करीब

Lack of Sleep Disease: हर रात आप खुद बर्बाद करते हैं अपना हार्ट, यह आदत पहुंचा देती है मौत के करीब
By : | Updated at : 28 Oct 2025 09:11 AM (IST)

Sleep Deprivation Effects:आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अक्सर नींद काटकर काम पूरे करने, डेडलाइन निपटाने या देर रात फोन पर स्क्रॉल करने में वक्त गुज़ारते हैं. शुरुआत में यह मामूली लग सकता है, लेकिन असल में नींद की कमी धीरे-धीरे शरीर के लगभग हर हिस्से को प्रभावित करती है. नींद सिर्फ आराम का समय नहीं है, बल्कि यही वह वक्त है जब शरीर खुद को रिपेयर करता है और फिर से ऊर्जा जुटाता है. अगर आप डेली 7 से 9 घंटे की नींद नहीं लेते, तो धीरे-धीरे दिल, दिमाग और मेटाबॉलिज्म पर इसका असर साफ नजर आने लगता है. चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं.

हार्ट पर पड़ता है सबसे खराब असर अमेरिकन जर्नल ऑफ लाइफस्टाइल मेडिसिन में छपी एक स्टडी बताती है कि कम नींद लेने वालों में हार्ट की बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. इसमें हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक और कोरोनरी हार्ट डिजीज जैसी समस्याएं शामिल हैं. लगातार कम नींद लेने पर शरीर हल्के तनाव की स्थिति में बना रहता है. ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट दोनों बढ़ जाते हैं और स्ट्रेस हार्मोन का स्तर भी ऊपर चला जाता है. कुछ दिनों के लिए यह फर्क ज़्यादा न लगे, लेकिन हफ्तों और महीनों तक ऐसा होने से दिल की सेहत पर गहरा असर पड़ता है.

बिगड़ जाता है मेटाबॉलिज्म नींद की कमी का असर सिर्फ थकान तक सीमित नहीं है, यह आपके मेटाबॉलिज्म को भी गड़बड़ा देती है. रिसर्च के अनुसार कम नींद लेने से भूख नियंत्रित करने वाले हार्मोन प्रभावित होते हैं. लेप्टिन कम हो जाता है और घ्रेलिन बढ़ जाता है. नतीजा यह कि नींद पूरी न होने पर लोगों को ज़्यादा मीठा और हाई कार्ब स्नैक्स खाने की इच्छा होती है. लंबे समय में इससे मोटापा और टाइप-2 डायबिटीज का खतरा भी बढ़ जाता है.

खासतौर पर पुरुषों में छह घंटे से कम नींद लगातार लेने पर डायबिटीज का रिस्क महिलाओं के मुकाबले ज्यादा देखा गया है. मेंटल पर भी असर अगर आपने कभी नींद पूरी न होने के बाद चिड़चिड़ापन महसूस किया है तो समझिए यह सिर्फ मूड का मामला नहीं है. लगातार कम नींद लेने से चिंता, डिप्रेशन और इमोशनल बर्नआउट बढ़ जाता है. नींद पूरी न होने पर दिमाग का वह हिस्सा अधिक एक्टिव हो जाता है जो इमोशन को नियंत्रित करता है, जबकि शांत निर्णय लेने वाले हिस्से की गतिविधि धीमी हो जाती है. यही वजह है कि नींद की कमी वाले लोग जल्दी गुस्सा करते हैं, तनाव ज्यादा महसूस करते हैं और दूसरों के साथ रिश्तों में भी मुश्किलें झेलते हैं.

कैसे सुधारें नींद की आदतें? अच्छी बात यह है कि नींद की गुणवत्ता कुछ आसान आदतों से सुधारी जा सकती है. स्वास्थ्य एक्सपर्ट के अनुसार यंग लोगों को रोजाना 7 से 9 घंटे और बुज़ुर्गों को कम से कम 7 घंटे की नींद जरूरी है. इसके लिए आप कुछ बदलाव कर सकते हैं- रोजाना एक तय समय पर सोना और उठना. सोने से पहले फोन और लैपटॉप जैसे स्क्रीन से दूरी. रात में कैफीन और भारी खाना न लेना.

कमरे का तापमान ठंडा और शांत रखना. सोने से पहले हल्का मेडिटेशन, पढ़ाई या स्ट्रेचिंग करना. Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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