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This article highlights: बिहार चुनाव के बीच उदित राज का BJP पर बड़ा जुबानी हमला, कहा- इस ठगी से बाहर निकालना नामुमकिन.... In context: बिहार विधानसभा चुनाव के माहौल में बयानबाजी का दौर तेज हो गया है इसी बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और दलित नेता डॉ. Stay tuned with The Headline World for more insights and details.
बिहार विधानसभा चुनाव के माहौल में बयानबाजी का दौर तेज हो गया है. इसी बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और दलित नेता डॉ. उदित राज ने बीजेपी पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट लिखते हुए बीजेपी पर 'जातीय ठगी' का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने पिछड़ी जातियों को बांटने की राजनीति को एक सुनियोजित रणनीति की तरह अपनाया है.
उदित राज ने अपने पोस्ट में लिखा कि जाति आधारित क्षेत्रीय पार्टियां ही शोषक हैं. जातीय भावना और जुड़ाव लोगों को अंधा बना देती है. उन्होंने कहा कि जब बीजेपी को यह समझ आया कि कुछ पिछड़ी जातियों का सीधा वोट उसे नहीं मिल सकता, तो उसने उन्हीं जातियों के नाम पर बनी छोटी-छोटी पार्टियों को प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया.
स्वाभिमान के नाम पर जाति के ठेकेदार बन रहे नेता- उदित राज
कांग्रेस नेता उदित राज के मुताबिक, बीजेपी ने उन जातीय पार्टियों के नेताओं के साथ सांठगांठ कर उन्हें ठेकेदार बना दिया. उन्होंने कहा कि इन पार्टियों के नेता अब स्वाभिमान के नाम पर पूरी जाति के ठेकेदार बन गए हैं. वे अपने परिवार और रिश्तेदारों के लिए सीटें पक्की कर लेते हैं, जबकि बाकी टिकट या तो बेच दिए जाते हैं या फिर बीजेपी के उम्मीदवारों को अपने बैनर तले उतारकर चुनाव मैदान में भेजा जाता है.
बीजेपी ने हर जाति में तैयार किया अपना नेता
उदित राज ने खास तौर पर उत्तर प्रदेश और बिहार का उदाहरण देते हुए कहा कि बीजेपी का यह 'जातीय प्रयोग' इन दोनों राज्यों में सबसे ज्यादा सफल रहा है. उन्होंने लिखा कि बीजेपी ने हर जाति में एक चेहरा तैयार कर उस समुदाय के वोटों को अपने पक्ष में झुकाने की नीति अपनाई है. इससे समाज में गहरी जातीय खाई बन गई है.
असली मुद्दों से पीछे छूट रहे लोग
उन्होंने आगे लिखा कि बीजेपी के इस जातीय खेल से समाज को बाहर निकालना बेहद मुश्किल है. लोग जाति के नाम पर अंधे हो गए हैं और असली मुद्दे - जैसे बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा और स्वास्थ्य पीछे छूट गए हैं.
उदित राज का यह बयान ऐसे समय आया है जब बिहार में चुनावी हलचल जोरों पर है और सभी पार्टियां अपने-अपने जातीय समीकरण साधने में जुटी हैं. उनके इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में नई बहस छेड़ दी है, खासकर इसलिए क्योंकि यह बयान बीजेपी की उस रणनीति पर सीधा प्रहार है, जो सामाजिक गठजोड़ और जातीय प्रतिनिधित्व पर आधारित मानी जाती है.
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