सोने का नाम सुनते ही आंखों के सामने चमक, शान और अमीरी की तस्वीर उभर आती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जब सम्राट अकबर जैसे शक्तिशाली राजा की मृत्यु हुई थी, उस समय सोने की कीमत कितनी रही होगी? आज तो हालत ये है कि 24 कैरेट सोने के 10 ग्राम का दाम 1,23,200 रुपये तक पहुंच चुका है, लेकिन कभी ये वही धातु थी जो बाजारों में वजन से नहीं, बल्कि शान से तोली जाती थी. आइए जानें कि उस वक्त सोने की कितनी कीमत थी. अकबर के निधन के वक्त सोने की कीमतें मुगल काल के समय यानी साल 1605, जब अकबर का निधन हुआ था, उस दौर में सोना आज की तरह रुपये में नहीं, बल्कि तोले और मोहर्स के हिसाब से मापा जाता था. इतिहासकारों के अनुसार, उस समय एक तोला सोना लगभग 15-20 रुपये में मिल जाता था. अगर उस दौर के हिसाब से देखा जाए, तो आज के मुकाबले सोने की कीमत करीब छह हजार गुना बढ़ चुकी है.
महलों की दीवारों पर जड़ा होता था सोना अकबर के समय भारत सोने की चिड़िया माना जाता था. विदेशी व्यापारी कहते थे, India the Golden Bird. दरअसल, उस समय भारत में सोने का आयात नहीं होता था, बल्कि लोग यहां से सोना ले जाते थे. मुगल खजाने में टनों सोना जमा था, जो युद्धों, करों और व्यापार से हासिल किया गया था. यहां तक कि अकबर के महलों की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाई जाती थी और राजाओं की तलवारों से लेकर रानियों के आभूषणों तक सब में असली सोना जड़ा होता था.
तब से अब तक कितनी बढ़ी सोने की कीमतें लेकिन फिर वक्त बदला, साम्राज्य गिरे, अर्थव्यवस्था बदली और धीरे-धीरे वही सोना लोगों की पहुंच से दूर होता गया. आज हालत ये है कि जहां पहले एक सामान्य व्यक्ति कुछ तोले सोना खरीद सकता था, वहीं अब 10 ग्राम सोने की कीमत ही लाख के पार जा चुकी है. अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, में ये तेजी सिर्फ महंगाई या मांग का असर नहीं, बल्कि वैश्विक बाजार की अस्थिरता और मुद्रा अवमूल्यन का परिणाम भी है. जहां 1600 के दशक में सोना सत्ता और वैभव की पहचान था, वहीं आज यह निवेश और सुरक्षा का सबसे भरोसेमंद जरिया बन चुका है. आज एक तोला सोना लेना नहीं है आसान इतिहासकारों के अनुसार, अगर अकबर के दौर की तुलना आज से की जाए, तो उस समय एक आम व्यक्ति अपने एक महीने की आमदनी में कुछ तोले सोना खरीद सकता था, जबकि आज के समय में आम आदमी के लिए एक तोला सोना लेना भी आसान नहीं रह गया है.
सोने की इस चमक ने सदियों में भारत की अर्थव्यवस्था, राजनीति और संस्कृति तीनों को प्रभावित किया है. अकबर के जमाने से लेकर आज के डिजिटल युग तक, सोना सिर्फ एक धातु नहीं, बल्कि भारत की पहचान बन चुका है और बदलते समय का एक सुनहरा गवाह भी.








