Quick Summary
This article highlights: बिहार चुनाव 2025: दरौंदा में बदलती सियासत, नए चेहरों और परिवारवाद का मुकाबला. In context: बिहार के सिवान जिले में स्थित दरौली अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित सीट है यह सीट जिले के दरौली, गुठनी और अंदर प्रखंडों को शामिल करती है और जिले के पश्चिमी छोर पर उत्तर प्रदेश की सीमा से सटी हुई है. Stay tuned with The Headline World for more insights and details.
बिहार के सिवान जिले में स्थित दरौली अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित सीट है. यह सीट जिले के दरौली, गुठनी और अंदर प्रखंडों को शामिल करती है और जिले के पश्चिमी छोर पर उत्तर प्रदेश की सीमा से सटी हुई है. घाघरा नदी के उपजाऊ मैदानों में बसे इस इलाके की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है. यहां धान, गेहूं और मौसमी सब्जियों की खेती व्यापक रूप से की जाती है. हालांकि, रोजगार के सीमित अवसरों के कारण बड़ी संख्या में लोग महानगरों की ओर पलायन भी करते हैं.
भौगोलिक रूप से दरौली की स्थिति काफी महत्वपूर्ण है. यह सिवान शहर से लगभग 30 किलोमीटर पश्चिम, यूपी के बलिया से लगभग 40 किलोमीटर पूर्व और छपरा से करीब 70 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है. वहीं, प्रदेश की राजधानी पटना से इसकी दूरी लगभग 150 किलोमीटर है. यह क्षेत्र सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है और स्थानीय व्यापारिक गतिविधियों के लिए सिवान शहर इसका प्रमुख केंद्र है.
दरौली विधानसभा का राजनीतिक इतिहास
दरौली विधानसभा क्षेत्र का गठन 1951 में सामान्य श्रेणी की सीट के रूप में किया गया था, लेकिन 2008 के परिसीमन के बाद इसे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित घोषित कर दिया गया. अब तक इस क्षेत्र में 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें 2020 का चुनाव भी शामिल है.
पार्टी प्रभाव और चुनावी रुझान
दरौली का इतिहास राजनीतिक दृष्टि से बेहद दिलचस्प और परिवर्तनशील रहा है. इस सीट पर वामपंथी ताकतों, विशेष रूप से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का गहरा प्रभाव रहा है. पार्टी ने अब तक इस सीट से पांच बार जीत दर्ज की है और यहां के राजनीतिक विमर्श को लंबे समय तक अपने नियंत्रण में रखा है.
इस सीट से कांग्रेस ने चार बार, जबकि भारतीय जनसंघ और बाद में बीजेपी ने तीन बार जीत हासिल की. इसके अलावा, जनता पार्टी, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, लोकदल, जनता दल और राजद (राष्ट्रीय जनता दल) ने भी एक-एक बार जीत दर्ज की है.
1995 के बाद से दरौली में वामपंथ का दबदबा लगातार बढ़ा और सीपीआई (एमएल)(एल) ने अपनी संगठनात्मक जड़ों को मजबूत किया. 2010 में जब यह सीट आरक्षित हुई, तब भी पार्टी ने अपनी पकड़ बनाए रखी. हालांकि 2010 के चुनाव में बीजेपी के रामायण मांझी ने वाम उम्मीदवार को पराजित किया था. इसके बाद 2015 और 2020 में सीपीआई (एमएल)(एल) के सत्यदेव राम ने लगातार जीत दर्ज कर यह साबित कर दिया कि दरौली अब भी वाम विचारधारा की मजबूत जमीन है.
जनसंख्या और मतदाता विवरण
2024 में चुनाव आयोग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, दरौली विधानसभा क्षेत्र की कुल जनसंख्या 5,49,256 है, जिसमें 2,87,098 पुरुष और 2,62,158 महिलाएं शामिल हैं. वहीं, कुल मतदाताओं की संख्या 3,23,945 है, जिनमें 1,68,719 पुरुष, 1,55,216 महिलाएं और 10 थर्ड जेंडर मतदाता हैं.
Content compiled and formatted by The Headline World editorial team.







