महाराष्ट्र सरकार ने नई युवा नीति तैयार करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसके लिए 10 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. खास बात यह है कि इस बार नीति तैयार करने वाली समिति में विपक्षी दलों के विधायक और महिलाएँ भी शामिल होंगी.
राज्य की मौजूदा युवा नीति साल 2012 में बनी थी और 2022 में खत्म हो गई. अब नई नीति बनाने की तैयारी है. दिलचस्प बात यह है कि पिछली बार जब यह नीति बनी थी, तब फडणवीस विपक्ष में थे और समिति के सदस्य थे. इस बार वे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर नई नीति का खाका तैयार कर रहे हैं.
समिति में विपक्ष और महिलाएं भी
पहले जब समिति बनी थी तो उसमें महिलाओं और विपक्षी दलों को जगह नहीं दी गई थी. इसे लेकर सरकार की आलोचना हुई. अब संशोधित समिति में एनसीपी (एसपी) के अभिजीत पाटिल और रोहित पाटिल, शिवसेना (यूबीटी) के वरुण सरदेसाई, पीडब्ल्यूपी के डॉ. बाबासाहेब देशमुख के साथ महिला कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया है.
फडणवीस का कहना है कि आने वाले 10 सालों में महाराष्ट्र 75 साल का हो जाएगा. इसलिए नई युवा नीति बनाते समय अगले दस साल की जरूरतों और 2047 तक की लंबी योजना को ध्यान में रखना होगा.
उन्होंने कहा कि नीति ऐसी होनी चाहिए जिसमें ग्रामीण और शहरी दोनों युवाओं को बराबर अवसर मिलें और अलग-अलग विचारधाराओं वाले युवाओं की भागीदारी भी सुनिश्चित हो.
युवाओं से सीधे संवाद
नीति को जमीनी बनाने के लिए युवाओं से सीधे बात की जाएगी. इसके लिए राज्यभर में सर्वेक्षण होगा, स्कूल-कॉलेजों में सेमिनार होंगे, सोशल मीडिया पर राय ली जाएगी और सेवा क्षेत्र व कृषि से जुड़े युवाओं से बातचीत भी की जाएगी.
सरकार ने कहा है कि नीति सिर्फ कागजों पर न रहे, इसके लिए पेशेवर संस्थाओं को जोड़ा जाएगा. वे आंकड़े इकट्ठा करने और उनका विश्लेषण करने का काम करेंगी ताकि नीति को विश्वस्तरीय बनाया जा सके.
महाराष्ट्र में युवा वर्ग की आयु सीमा 15 से 35 साल तय की गई है. विधायकों ने मांग की है कि इस बड़े दायरे को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटा जाए, ताकि अलग-अलग उम्र के युवाओं की जरूरतों के हिसाब से कार्यक्रम तैयार किए जा सकें. पढ़ाई करने वाले छात्र और नौकरी करने वाले युवाओं की चुनौतियाँ अलग होती हैं, इसलिए एक जैसी योजना उनके लिए कारगर नहीं होगी.
ग्रामीण-शहरी का फर्क नहीं, आयु पर जोर
पहले प्रस्ताव था कि ग्रामीण और शहरी युवाओं के लिए अलग-अलग श्रेणियाँ बनाई जाएँ. लेकिन अब इसे बदलकर आयु-आधारित उप-श्रेणियाँ बनाने की तैयारी है. इससे हर आयु समूह के युवाओं की स्थिति और जरूरत को समझना आसान होगा.
फंड का अलग प्रावधान
जैसे महिलाओं की योजनाओं के लिए अलग बजट रखा जाता है, वैसे ही युवाओं की पहलों के लिए भी अलग फंड बनाने की बात कही गई है. इसके अलावा सरकार विभागों के बीच समन्वय के लिए खास निगरानी तंत्र भी तैयार करेगी.