बंगाल की खाड़ी से उठा चक्रवात मोंथा (Cyclone Montha) अब अपनी पूरी ताकत दिखा रहा है. पूर्वी तट यानी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में जहां इसकी हवाएं 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही हैं, वहीं पश्चिमी तट पर अरब सागर का एक नया डिप्रेशन महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा की ओर बढ़ रहा है. भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने इस स्थिति को दो तरफा चक्रवाती घेरे (Dual Cyclonic Circulation) के रूप में क्लासिफाइड किया है. एक्पर्ट्स के मुताबिक ऐसा दुर्लभ मौका होता है जब भारत के दोनों छोरों पर एक साथ चक्रवाती दबाव सक्रिय हो जाएं. मोंथा की दिशा और मौजूदा स्थितिIMD की रिपोर्ट के अनुसार, चक्रवात मोंथा फिलहाल उत्तर-पश्चिम दिशा में आगे बढ़ रहा है और इसका केंद्र नरसापुर से लगभग 80 किमी और काकीनाडा से 100 किमी पश्चिम में स्थित है.
तूफान की हवाएं 80–90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही हैं. अगले कुछ घंटों में इसकी तीव्रता थोड़ी घट सकती है, लेकिन इसका असर कई राज्यों में बना रहेगा. किन राज्यों पर सबसे ज्यादा असरमोंथा की वजह से जिन राज्यों पर सबसे ज्यादा असर देखने को मिल सकता है, वे इस प्रकार आंध्र प्रदेश:तटीय जिलों में 20 सेंटीमीटर से अधिक बारिश, खेतों में जलभराव और फसलों को नुकसान का खतरा. तेलंगाना:अति भारी वर्षा और छोटे नालों में बाढ़ जैसी स्थिति. ओडिशा:तेज हवाएं और बिजली गिरने की संभावना.
छत्तीसगढ़:नदियों में उफान और निचले इलाकों में पानी भरने का खतरा. झारखंड और बिहार:लगातार वर्षा के कारण ग्रामीण इलाकों में बाढ़ की चेतावनी. पश्चिम बंगाल और सिक्किम: पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन की आशंका. IMD का कहना है कि मोंथा केवल तटीय इलाकों तक सीमित नहीं रहेगा. इसके प्रभाव से मध्य और पूर्वी भारत में मानसूनी वर्षा में अचानक वृद्धि देखी जाएगी.
अरब सागर में नया चक्रवात, पश्चिमी तट पर अलर्टपूर्वी भारत जब मोंथा से जूझ रहा है उसी समय अरब सागर में एक नया डिप्रेशन (Depression System) सक्रिय हो गया है. यह सिस्टम फिलहाल लक्षद्वीप के पास है और धीरे-धीरे महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात की ओर बढ़ रही है. इस डिप्रेशन के कारण अगले 48 घंटों में महाराष्ट्र और गोवा में 3–5 मीटर ऊंची लहरें उठने और भारी बारिश की संभावना है. गुजरात और कर्नाटक के तटीय हिस्सों में बहुत तेज हवाओं के साथ मूसलाधार वर्षा की चेतावनी दी गई है. मछुआरों को कम से कम 72 घंटे तक समुद्र में न जाने की सख्त सलाह दी गई है.
यह स्थिति डबल साइक्लोन इफेक्ट (Double Cyclone Effect) कहलाती है, जो मानसूनी प्रवाह को बाधित कर पूरे उपमहाद्वीप के मौसम को अस्थिर कर सकती है.








