Dev Uthani Ekadashi 2025: तुलसी-शालिग्राम विवाह और शुभ मुहूर्तों की शुरुआत कब से होगी?

Dev Uthani Ekadashi 2025: तुलसी-शालिग्राम विवाह और शुभ मुहूर्तों की शुरुआत कब से होगी?
By : | Updated at : 30 Oct 2025 11:41 AM (IST)

Show Quick Read Key points generated by AI, verified by newsroom Dev Uthani Ekadashi 2025:2 नवंबर 2025 को देवउठनी एकादशी त्रिस्पर्शा योग में मनाई जाएगी, जब एक ही दिन में एकादशी, द्वादशी और त्रयोदशी तीनों तिथियाँ स्पर्श करेंगी. यह दिन भगवान विष्णु के योग-निद्रा से जागरण और तुलसी-शालिग्राम विवाह का प्रतीक है. पद्म पुराण के अनुसार, त्रिस्पर्शा योग में किया गया व्रत और विवाह कन्यादान के समान फल देता है. इसी दिन चातुर्मास समाप्त होता है और शुभ-मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह-प्रवेश, नामकरण आदि की शुरुआत होती है. देवउठनी एकादशी 2025 तिथि और मुहूर्त एकादशी तिथि आरंभ:01 नवंबर 2025 (शनिवार) सुबह 09:11बजे एकादशी तिथि समापन:02 नवंबर 2025 (रविवार) सुबह 07:31बजे व्रत पूजन तिथि:02 नवंबर (उदय तिथि मान्य) तुलसी-शालिग्राम विवाह:02 नवंबर 2025 (रविवार शाम) शुभ मुहूर्त (संध्या विवाह पूजन):संध्या 4:48से 6:12 बजे तक (अभिजीत काल न होने से गोधूलि मुहूर्त श्रेष्ठ माना जाएगा) इस बार देवउठनी एकादशी त्रिस्पर्शा योग में होगी, जो अत्यंत दुर्लभ संयोग है.

जब एकादशी, द्वादशी और रात्रि के अंतिम पहर में त्रयोदशी तीनों तिथियां एक दिन में आती हैं, तो उसे त्रिस्पर्शा योग कहा जाता है कि यह पद्म पुराण में वर्णित पवित्र योग है. देवउठनी एकादशी कथा और महत्व माना जाता है कि देवउठनी एकादशी को भगवान श्रीहरि चार माह की योग निद्रा से जागते हैं और सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं. उनके जागरण की खुशी में देवोत्थान एकादशी मनाई जाती है. इसी दिन भगवान विष्णु का तुलसी से विवाह हुआ था. इसलिए महिलाएं व्रत रखती हैं और संध्या के समय तुलसी-शालिग्राम विवाह का विधिवत आयोजन करती हैं.

परम्परा अनुसार इस दिन तुलसी जी का श्रृंगार कर उन्हें चुनरी ओढ़ाई जाती है, परिक्रमा की जाती है, और आंगन में रौली से चौक पूर कर भगवान विष्णु के चरणों का अलंकरण किया जाता है. रात्रि में पूजन के बाद प्रातः शंख-घंटा बजाकर भगवान को जगाया जाता है और कथा सुनी जाती है. तुलसी विवाह और पुण्य फल सनातन धर्म में तुलसी विवाह को अत्यंत पवित्र माना गया है. ज्योतिषाचार्या नीतिका शर्मा के अनुसार इस दिन तुलसी और शालिग्राम की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है. इस दिन किया गया विवाह कन्यादान के समान पुण्य दायक माना गया है और पति-पत्नी के बीच सद्भाव एवं प्रेम बढ़ता है.

त्रिस्पर्शा योग का गूढ़ अर्थ त्रिस्पर्शा योग वह अवसर है जब तीन तिथियों का संयोग एक दिन में होता है, एकादशी, द्वादशी और त्रयोदशी. यह योग सिर्फ़ भगवान विष्णु के जागरण और सृष्टि के पुनः संवहन का प्रतीक ही नहीं, बल्कि जीवन में तीनों गुणों. सत्त्व, रज और तम के संतुलन का सूत्र भी है. इसी दिन से शुभ मुहूर्तों का नया सिलसिला शुरू हो जाता है.

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