देश की नामी टेक कंपनी हिंदुस्तान कंप्यूटर्स लिमिटेड (HCL) के को-फाउंडर और लेखक अजय चौधरी ने टेक सेक्टर में भारत के पिछड़ेपन पर चंता जताई है. उन्होंने कहा कि मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में भारत दूसरे देशों पर निर्भर है, जो संकट की स्थिति पैदा कर सकता है. उन्होंने कहा कि यह दुख की बात है कि हमारे देश में एक फोन भी भारतीय नहीं है. भारत के पास मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता नहीं अजय चौधरी ने कहा, "हमारी अर्थव्यवस्था का 60 फीसदी हिस्सा सर्विस सेक्टर पर निर्भर है, जो बहुत खतरनाक है. हमें सेमीकंडक्टर, ड्रोन, ईवी जैसे कई क्षेत्रों में मैन्यूफैक्चरिंग देश बनने की जरूरत है.
हमारे पास बेहतरीन डिजाइन क्षमता तो है, लेकिन मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता नहीं है. इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए पिछले कुछ सालों में की यूनिट स्थापित किए गए हैं, लेकिन सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में हम अभी भी सीख ही रहे हैं. " छंटनी के कारण इंजीनियरों की नौकरियां जाने को लेकर पूछे जाने वाले सवाल पर अजय चौधरी ने कहा, "केंद्र की ओर से जारी 1 लाख करोड़ रुपये का आरडीआई कोष इंजीनियरों की नौकरियों को बचाने में मदद कर सकता है. " उन्होंने पूछा, "उन सभी इंजीनियरों का क्या होगा, जो नौकरियां खो रहे हैं. क्या हमारे पास इस स्थिति को झेलने की क्षमता है? क्या हमारे इंडस्ट्री में अभी उन नौकरियों के नुकसान को झेलने की क्षमता है?" 'हमारे यहां इस्तेमाल हो रहे चीन के चिप' अजय चौधरी ने दावा किया कि भारत का अधिकतर डेटा चीन के पास जा चुका है.
उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार के ऑफिस में जो भी अटेंडेंस मशीनें लगी है वो चीन की हैं और उनमें उसी के चिप्स लगे हैं. एक बार जांच के बाद इंटेलिजेंस एजेंसी ने कहा कि सारा डेटा चीन जा चुका है. इस तरह हमारे केंद्रीय कर्मचारियों का डेटा चीन पहुंच गया. भारत जितने सीसीटीवी कैमरे इस्तेमाल किए जा रहे हैं उसमें चीन के ही चिप लगे हैं. " 'मैन्यूफैक्चरिंग के नाम पर हम बस पेच कस रहे' अजय चौधरी ने कहा, "भारत में मैन्यूफैक्चरिंग के नाम पर पेच कसने जैसे काम हो रहे हैं.
हमारे यहां चीन से सामान आता है और हम बस उसे असेंबल करते हैं. चीन में टेलिकॉम का सारा काम हुवावे (HUAWEI) देखता है, जिसे वहां की सरकार से भी काफी फंडिंग मिलती है. सरकार इस तरह का सपोर्ट भारत में नहीं करती है.








