इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के मुताबिक, 2025 में सोना 41 हजार रुपए महंगा हुआ. 17 अक्टूबर को सोने ने 1. 27 लाख रुपए का ऑलटाइम हाई बनाया. वहीं चांदी भी 1. 69 लाख रुपए प्रति किलोग्राम बिकी.
लेकिन बीते 9 दिनों में मानो सभी लोगों की मुराद पूरी हो गई, जो सोना-चांदी सस्ता होने का इंतजार कर रहे थे. बीते 9 दिनों में 10 ग्राम सोने की कीमतें 11,541 रुपए कम हुईं, तो वहीं चांदी 27,334 रुपए सस्ती हो गई. एक्सपर्ट्स का कहना है कि सोना-चांदी की कीमतें आगे भी गिरेंगी. तो आइए ABP एक्सप्लेनर में समझते हैं कि अचानक सोना-चांदी सस्ते क्यों हुए, क्या अब सोना खरीदने का सही समय आ गया और इस साल कितनी गिरेंगी कीमतें. सवाल 1- 2025 में सोने की कीमतों का क्या ट्रेंड रहा? जवाब- IBJA के मुताबिक, 1 जनवरी 2025 को 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 76,162 रुपए थी.
ये कीमतें भारत में ऑल टाइम हाई थी. लेकिन एक महीने बाद ही सोने की कीमतों में 6 हजार रुपए से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई और 1 फरवरी को सोना 82 हजार रुपए से ज्यादा हो गया. इसके बाद हर महीने सोने की कीमतों में इजाफा हुआ. IBJA के मुताबिक जून में सोना 95 हजार पार हुआ. जुलाई में कुछ कीमतें स्थिर रहीं, लेकिन अगस्त में वापस तेजी आई और यह 1,01,406 रुपए प्रति 10 ग्राम पहुंच गया.
सितंबर में सोने ने फिर बड़ी छलांग लगाई और 1,15,454 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंचा. यानी शुरुआत के 9 महीनों में सोना 39,292 रुपए प्रति 10 ग्राम महंगा हो गया. इसके बाद अक्टूबर महीने में भी सोने के दाम 1 लाख 15 हजार रुपए से ज्यादा रहे. 17 अक्टूबर को सोने ने फिर छलांग लगाई और 1. 29 लाख रुपए प्रति 10 ग्राम के साथ ऑलटाइम हाई बनाया.
लेकिन इसके बाद से सोने की कीमतें लगातार गिरने लगीं. 22 अक्टूबर को 10 ग्राम सोना 1,23,907 रुपए बिका. यानी करीब 5 हजार रुपए सस्ता हुआ. इसके बाद 24 अक्टूबर को 1. 21 लाख रुपए और 29 अक्टूबर को 1,18,043 रुपए प्रति 10 ग्राम रहा.
9 महीनों में सोना 39,292 रुपए प्रति 10 ग्राम महंगा हो गया था. सवाल 2- 2025 की शुरुआत में सोने की कीमतें लगातार क्यों बढ़ती रहीं? जवाब- केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर और बिजनेस एक्सपर्ट अजय केडिया के मुताबिक, इस साल भारत में सोना महंगा 4 बड़ी वजहों से महंगा हुआ… 1. दुनिया में उथल-पुथल देख सोने की डिमांड बढ़ी:भारत में सोने की कीमतें ग्लोबल मार्केट से प्रभावित होती हैं, क्योंकि भारत अपनी जरूरत का करीब 90% सोना इम्पोर्ट करता है. भारत में सोने का खनन बहुत सीमति है, जिससे ग्लोबल मार्केट में सोने की कीमतें बढ़ने से भारत में भी सोना महंगा हो जाता है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के मुताबिक, भारत में सोने की मांग सालाना करीब 800 टन है.
2024 में भारत ने 712. 1 टन सोना इम्पोर्ट किया, जो 2023 के 744 टन से 4% कम था. भारत सबसे ज्यादा सोना अमेरिका से खरीदता है. इस साल जनवरी के बाद से ग्लोबल लेवर पर इकोनॉमी का अंदाजा लगाना मुश्किल रहा. अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर, मिडिल-ईस्ट में इजराइल और हमास संघर्ष, रूस-यूक्रेन जंग और ट्रंप के टैरिफ की वजह से इन्वेस्टर्स ने सोने में इन्वेस्ट किया.
सोने को सुरक्षित निवेश माना जाता है, इसलिए वैश्विक संकट के समय इसकी मांग बढ़ती रही. 2. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया कमजोर हुआ:भारत में सोना ज्यादातर विदेश से खरीदा जाता है और उसका पेमेंट अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर हो जाता है, जिस वजह से हमें सोना खरीदने के लिए ज्यादा रुपए देने पड़ते हैं. इससे भारत में सोना खरीदना महंगा हो गया. जनवरी से अक्टूबर तक भारतीय रुपया डॉलर के सामने कमजोर हुआ, क्योंकि विदेशी इन्वेस्टर्स भारत से अपने पैसे निकालने लगे.
इससे रुपए की कीमत 2-3% कम हो गई यानी 1 डॉलर, 88. 67 रुपए हो गया. फिर सोना इम्पोर्ट करने की लागत बढ़ी. 3. महंगाई बढ़ने से सोने में निवेश बढ़ा:जब महंगाई बढ़ती है, तो लोग सोने में निवेश करते हैं, क्योंकि यह महंगाई के खिलाफ सुरक्षित निवेश माना जाता है.
इससे मांग बढ़ती है और कीमतें ऊपर जाती हैं. मार्च 2025 में जब भारत में रिटेल इन्फ्लेशन 6% के करीब पहुंची, इन्वेस्टर्स ने सोने में निवेश बढ़ा दिया. लोगों ने तेल और खाद्य की जगह सोने में इन्वेस्ट किया. 4. केंद्रीय बैंकों की नीतियां और ब्याज दरों से सोना महंगा:जब ब्याज दरें कम होती हैं, तो सोने में इन्वेस्ट बढ़ जाता है, क्योंकि बैंक जमा पर रिटर्न कम मिलता है.
इससे सोने की मांग और कीमतें बढ़ना तय है. अमेरिका ने ब्याज दरें 0. 25% घटाईं तो गोल्ड ETF में निवेश बढ़ा. भारत में भी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI ने ब्याज दरें स्थिर रखीं. कम ब्याज दरों ने कीमतों को 2 से 3 हजार रुपए महंगा कर दिया.
सवाल 3- तो अब अचानक सोना सस्ता क्यों होने लगा है? जवाब- अजय केडिया के मुताबिक, अचानक सोना सस्ता होने की 4 बड़ी वजहें हैं. भारत में सीजनल खरीदी का खत्म होना:दिवाली जैसे फेस्टिवल के बाद इंडिया में सोने-चांदी की खरीदारी का सिलसिला थम गया. इससे सोना-चांदी की डिमांड में कमी आई है. ग्लोबल टेंशन में कमी:सोना-चांदी को 'सेफ-हेवन' माना जाता है, यानी मुश्किल वक्त में लोग इन्हें खरीदते हैं. ग्लोबल टेंशन के कम होने से इसमें गिरावट आई है.
अमेरिका-चीन ट्रेड टॉक में प्रगति से सेफ-हेवन की मांग घटी है. टैरिफ खतरे कम होने से इन्वेस्टर्स स्टॉक्स जैसे रिस्की एसेट्स की ओर मुड़ रहे हैं, जिससे सोने की चमक फीकी पड़ गई. प्रॉफिट-टेकिंग और ओवरबॉट सिग्नल:2025 में सोना अब तक 50-60% महंगा हो चुका था, जो इन्वेस्टर्स के बीच फियर ऑफ मिसिंग आउट यानी FOMO से रिलेटेड था. अब इन्वेस्टर्स मुनाफा काट रहे हैं, क्योंकि कीमतें ओवरवैल्यूड लग रही हैं. यह एक करेक्शन है, जो लंबी तेजी के बाद आता है.
ETF आउटफ्लो: गोल्ड ETF से लगातार निकासी हो रही है, जो डिमांड को दबा रही है. इसके अलावा चार्ट पर ओवरबॉट सिग्नल्स दिख रहे हैं, जो आगे गिरावट का संकेत देते हैं. सवाल 4- क्या इस उथल-पुथल के बीच सोना खरीदना फायदेमंद है? जवाब- अजय केडिया कहते हैं, 'इस साल सोने की कीमतों में बहुत ज्यादा तेजी आई, जिस वजह से सोने ने करीब 80% का रिटर्न दिया. अगर आपको इन्वेस्टमेंट के लिए सोना खरीदना है, तो अभी ठहर जाइए. जैसे-जैसे हालात स्थिर होंगे, सोना और ज्यादा सस्ता होगा.
यानी सोना 1. 10-1. 12 लाख रुपए प्रति 10 ग्राम पर ठहर सकता है. लेकिन अब रिटर्न उतना नहीं मिलेगा. वहीं, अगर शादी या सेविंग के लिए सोना खरीदना है, तो बिल्कुल खरीद सकते हैं.
' शादी या सेविंग के लिए सोना खरीदना फायदेमंद है. सवाल 5- ग्लोबल मार्केट में सोने की कीमतों का ट्रेंड क्या है? जवाब- किसी भी देश में सोने के दाम इसके इंटरनेशनल रेट के आधार पर तय होते हैं. इंटरनेशनल लेवल पर लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन यानी LBMA सोने के दाम तय और रेगुलेट करता है. यह बाकी देशों के साथ मिलकर काम करता है. 24 कैरेट शुद्धता वाले सोने का प्रति औंस रेट डॉलर में तय होता है.
एक औंस 28. 3 ग्राम का होता है. LBMA के मुताबिक, जनवरी में सोने की कीमत 2. 633 डॉलर प्रति औंस थी, जो अप्रैल तक बढ़कर 3,230 डॉलर प्रति औंस हो गई. इस दौरान भी सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिले, फरवरी में जहां सोने का हाईएस्ट प्राइस 2,936 डॉलर प्रति औंस पहुंच गया था, वहीं मार्च में लोएस्ट 2,880 डॉलर प्रति औंस तक गिर गया.
हालांकि, अप्रैल के बाद इसमें लगातार बढ़ोतरी देखी गई. 2 अक्टूबर को सोने की कीमत 3,886 डॉलर प्रति औंस रही. लेकिन 23 अक्टूबर से सोना सस्ता होने लगा. 28 अक्टूबर को सोना 3,948 डॉलर प्रति औंस बिका. सवाल 6- इस साल सोना और ज्यादा महंगा होगा या कीमतें गिर जाएंगी? जवाब- अजय केडिया कहते हैं, ‘इस साल सोने में जितनी तेजी आनी थी, वो आ चुकी है.
2025 के आखिर तक सोना 1. 30 लाख रुपए प्रति 10 ग्राम के आसपास रह सकता है. वहीं, अगले 2 सालों की बात करें तो यह डेढ़ लाख तक पहुंच जाएगा. दुनियाभर में ें बढ़ाने वाली वजहें लगभग खत्म हो चुकी हैं. फिर वो जियोपॉलिटिकल इश्यूज हो या सोने पर रिटर्न.
अब आने वाला दौर सोने का नहीं बल्कि चांदी का होगा. ’ सवाल 7- चांदी की कीमतों का ट्रेंड क्या है और क्या इसे खरीदना फायदेमंद है? जवाब- IBJA के मुताबिक, 1 जनवरी 2025 को एक किलोग्राम चांदी की कीमत 86,017 रुपए थी. इसके बाद चांदी की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी होती रही. 3 जून को चांदी पहली बार 1 लाख रुपए किलोग्राम बिकी. 14 जुलाई को चांदी ने ऑलटाइम हाई बनाया और 1.
13 लाख रुपए प्रति किलोग्राम बिकी. 8 अक्टूबर को चांदी ने नया ऑलटाइम हाई बनाया और 1 किलोग्राम की कीमत डेढ़ लाख पार कर गई. 17 अक्टूबर तक को चांदी की कीमत 1. 69 लाख रुपए प्रति किलोग्राम रही, लेकिन इसके बाद से चांदी सस्ती होने लगी. 29 अक्टूबर को 1.
41 लाख रुपए प्रति किलोग्राम है. यानी 9 दिन में 27 हजार रुपए सस्ती हो गई. 9 दिन में 27 हजार रुपए सस्ती हो गई. अजय केडिया कहते हैं, 'अब सोने का नहीं बल्कि चांदी का दौर है. अभी चांदी कुछ हद तक और सस्ती हो सकती है, लेकिन आने वाले समय में चांदी 2 लाख से 2.
5 लाख रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंचेगी. इस वजह से चांदी में इन्वेस्ट करना चाहिए. '.








