शरद पवार अध्यक्ष हैं उस वसंतदादा शुगर इंस्टिट्यूट के, जिसकी जांच करने के आदेश मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता वाली मंत्री समिति ने दिए हैं. यह संस्था गन्ने की खेती और उससे जुड़े उत्पादन पर शोध कार्य करने वाली प्रमुख संस्था है. राज्य सरकार के आदेशानुसार, महाराष्ट्र के सभी गन्ना उत्पादक किसानों से उनके गन्ना बिल में से प्रति टन एक रुपया की कटौती कर यह राशि VSI को दी जाती है. इसके अलावा, 2009 से राज्य सरकार द्वारा इस संस्था को विभिन्न प्रकार की अनुदान राशि भी प्रदान की जाती रही है. अब राज्य सरकार ने यह जांच करने का निर्णय लिया है कि यह अनुदान वास्तव में निर्धारित उद्देश्य के अनुसार उपयोग किया जा रहा है या नहीं.
इसके लिए राज्य के साखर आयुक्त को दो महीने में जांच पूरी कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया गया है. इस संस्था के नियामक मंडल में शरद पवार के साथ अजित पवार, जयंत पाटील, हर्षवर्धन पाटील और जयप्रकाश दांडेगांवकर जैसे वरिष्ठ नेता शामिल हैं. मंत्री समिति की बैठक में चर्चा उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में गन्ना पेराई हंगाम की योजना पर एक मंत्री समिति की बैठक हुई. इसी बैठक में VSI को दी जाने वाली अनुदान राशि को लेकर विस्तृत चर्चा की गई. वर्तमान में राज्य के शुगर मिलों से प्रति टन गन्ना पेराई पर एक रुपया की दर से राशि काटकर VSI को दी जाती है.
लेकिन इस निधि का वास्तव में शोध और विकास (R&D) के उद्देश्यों के लिए ही उपयोग हो रहा है या नहीं, इस पर सवाल उठाया गया. इसी कारण से अब इस निधि के उपयोग की गहन जांच करने का निर्णय सरकार ने लिया है. बैठक के दौरान गन्ना हंगाम के नियोजन, किसानों को मिलने वाले दर, और कारखानों की कार्यप्रणाली से जुड़े अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई. दो महीने में रिपोर्ट सौंपने के आदेश मुख्यमंत्री फडणवीस की अध्यक्षता वाली मंत्री समिति ने निर्णय लिया है कि साखर आयुक्त की अध्यक्षता में एक विशेष जांच समिति गठित की जाएगी. यह समिति दो महीने में जांच पूरी कर सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी.
रिपोर्ट के आधार पर सरकार आगे की कार्रवाई तय करेगी. इस जांच के आदेश के बाद, चूंकि शरद पवार इस संस्था के अध्यक्ष हैं और अजित पवार समेत कई वरिष्ठ नेता इसके प्रबंधन में शामिल हैं, इसलिए इस कदम को लेकर राजनीतिक हलकों में कई चर्चाएं तेज हो गई हैं. रोहित पवार का पलटवार और राजनीतिक बयानबाजी रोहित पवार ने कहा हमने कई मामलों के सबूत सरकार के सामने रखे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री ने उनकी कोई जांच नहीं करवाई. संतोष देशमुख, महादेव मुंडे, हगवणे प्रकरण जैसे मामलों में न्याय नहीं हुआ. जबकि VSI के माध्यम से अब तक कृषि क्षेत्र में बहुत अच्छा काम हुआ है.
महाराष्ट्र में सहकारिता क्षेत्र मजबूत होने का मुख्य कारण VSI है. पवार साहेब के मार्गदर्शन में इस संस्थान ने बहुत उत्कृष्ट कार्य किया है. अजितदादाओं का भी इसमें बड़ा योगदान है. यह संस्था राजनीति से ऊपर है, यहां सभी दलों के लोग काम करते हैं. ” क्या अजित पवार को निशाना बनाया जा रहा है? रोहित पवार ने आगे कहा VSI एक ट्रस्ट है और उसके काम की अब तक सभी ने सराहना की है.
खुद प्रधानमंत्री भी वहां एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे. जब प्रधानमंत्री किसी संस्था में जाते हैं, तो उनके दफ्तर द्वारा पूरी तरह उसका अध्ययन किया जाता है. अब अचानक इन लोगों के पेट में दर्द क्यों हुआ, यह समझ से बाहर है. क्या अजितदादाओं को अप्रत्यक्ष रूप से टारगेट किया जा रहा है?”अंत में उन्होंने कहा बीजेपी की नीति ‘वापरो और फेंको’ जैसी है. अब वही रवैया यहां दिखाई दे रहा है.
ने खुद कहा कि उन्हें ‘कुबड़ियां’ नहीं चाहिए यानी ये दो सहयोगी दल (अजित पवार और शिंदे गुट). आने वाले समय में न उनके पास लोग रहेंगे, न दल. ऐसी स्थिति बनती दिख रही है. वसंतदादा शुगर संस्थान का पक्ष हमारे बारे में यह गलत प्रचार किया जा रहा है कि हमें मारने की कोशिश की जा रही है, या फिर यह दिखाने की कोशिश की जा रही है कि हम शहीद हो रहे हैं. लेकिन वास्तव में वसंतदादा शुगर इंस्टिट्यूट की कोई भी जांच सरकार ने शुरू नहीं की है.
सिर्फ यह तय किया गया है कि विभिन्न मदों में जो धनराशि काटी जाती है, उसकी जानकारी ली जाए. प्रति टन गन्ने पर 1 रुपया जो काटा जाता है, उसकी जानकारी साखर आयुक्त ने मांगी है. कुछ लोग झूठे दस्तावेज़ दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. अब यह जांच होगी कि पैन कार्ड किसने बनाया था. महाराष्ट्र सरकार को झूठे दस्तावेज़ देने के मामले में क्या आप माफी मांगने वाले हैं.








