Islamic Rules On Gold: सिर्फ इतना सोना ही खरीदकर रख सकते हैं मुस्लिम, इस्लाम का यह नियम नहीं होगा पता

Islamic Rules On Gold: सिर्फ इतना सोना ही खरीदकर रख सकते हैं मुस्लिम, इस्लाम का यह नियम नहीं होगा पता
By : | Edited By: स्पर्श गोयल | Updated at : 30 Oct 2025 08:02 AM (IST)

Islamic Rules On Gold: सोने का काफी गहरा सांस्कृतिक और वित्तीय महत्व है. लेकिन आपको बता दें कि इस्लामी कानून (शरिया) के मुताबिक कुछ खास नियम हैं जो पुरुषों और महिलाओं के सोने के इस्तेमाल, धारण और निवेश के तरीकों को नियंत्रित करते हैं. वैसे तो इस्लाम में कोई सीमा नहीं है कि कोई कितना सोना खरीद सकता है लेकिन जकात से संबंधित कुछ नैतिक और वित्तीय जिम्मेदारियां हैं जिसे इस्लामी कानून मानता है. आइए जानते हैं क्या हैं ये जिम्मेदारियां. पुरुषों और महिलाओं के लिए नियम इस्लाम में पुरुषों और महिलाओं के लिए सोने के इस्तेमाल को अलग-अलग तरीके से बांटा गया है.

पुरुषों को अंगूठी, चेन या फिर कंगन जैसे सोने के आभूषण पहनने की पूरी तरह से मनाही है. इस नियम को पैगंबर मुहम्मद की शिक्षा के आधार पर बनाया गया है. इस्लाम में पुरुषों को सोने के गहने पहनना हराम है क्योंकि यह घमंड और दिखावा पैदा करता है. हालांकि पुरुषों को संपत्ति या फिर निवेश के तौर पर सोना खरीदने और रखने की अनुमति है. लेकिन शर्त यह है कि इसे पहना ना जाए.

वहीं महिलाओं के लिए इस्लाम में सोने के आभूषण पहनने और रखने की पूरी इजाजत है. महिलाएं सोने का उपयोग निजी इस्तेमाल, मेहर या फिर लंबे समय की बचत के लिए कर सकती हैं. महिलाओं के लिए इसे हलाल धन माना जाता है. क्या है सोने पर जकात? दरअसल इस्लाम में सोने से संबंधित सबसे जरूरी कानून जकात है. इस कानून के तहत यह सुनिश्चित होता है कि धन समाज में प्रसारित हो और जरूरतमंदों की मदद हो.

जकात तब जरूरी हो जाती है जब किसी व्यक्ति के पास एक निश्चित मात्रा से ज्यादा सोना 1 साल से ज्यादा समय तक रहता है. जकात अदा करने के लिए सोने की न्यूनतम मात्रा को निसान कहा जाता है. दरअसल इस्लामी वजन के मुताबिक एक तोला लगभग 11. 664 ग्राम के बराबर होता है. इस तरह अगर आपके पास 7.

5 तोला सोना है तो वह 7. 5 तोला× 11. 664 ग्राम के हिसाब से लगभग 87. 48 ग्राम शुद्ध सोना हो जाएगा. अब सोने का निसान 7.

5 तोला शुद्ध सोना होता है. अगर आपके पास कुल सोने का भंडार इस सीमा को पूरा करता है या फिर उसे पार कर जाता है तो आपको हर साल सोने के कुल बाजार मूल्य का ढाई प्रतिशत जकात के रूप में देना होगा. यह नियम पुरुषों और महिलाओं दोनों पर ही लागू होता है. इस्लाम में निवेश के लिए सोना खरीदना इस्लाम में सोने को एक स्थिर और हलाल निवेश के रूप में माना जाता है. लेकिन इसकी भी कुछ शर्ते हैं.

फिजिकल गोल्ड जैसे कि आभूषण, सिक्के या फिर बार पूरी तरह से हलाल हैं. लेकिन शर्त यह है कि उनके लिए भुगतान और स्वामित्व हस्तांतरण तुरंत हो. क्रेडिट आधारित सोने के व्यापार की अनुमति बिल्कुल नहीं है. इसी के साथ डिजिटल सोने जैसे कि गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड के लिए निवेश को तभी हलाल माना जाता है जब सोना 100% फिजिकली रूप से समर्थित हो और सट्टेबाजी या फिर ब्याज से मुक्त हो.

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