पतंजलि विश्ववि‌द्यालय में 'स्वस्थ धरा' पर राष्ट्रीय सम्मेलन: नाबार्ड-पतंजलि सहयोग से बढ़ेगी जैविक खेती

पतंजलि विश्ववि‌द्यालय में 'स्वस्थ धरा' पर राष्ट्रीय सम्मेलन: नाबार्ड-पतंजलि सहयोग से बढ़ेगी जैविक खेती
By : | Updated at : 28 Oct 2025 09:45 AM (IST)

हरिद्वार में पतंजलि विश्ववि‌द्यालय में 27-28 अक्टूबर को 'मृदा स्वास्थ्य परीक्षण एवं प्रबंधन द्वारा गुणवत्तापूर्ण जड़ी-बूटियों की सतत खेती' पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन खत्म हुआ. यह वर्कशॉप भारत सरकार के आयुष मंत्रालय, पतंजलि ऑर्गेनिक रिसर्च इंस्टिट्यूट, आरसीएससीएनआर-1, राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और भरुवा एग्री साइंस की संयुक्त कोशिश से 'स्वस्थ धरा' योजना के अंतर्गत आयोजित की गई थी. नाबार्ड और पतंजलि का सहयोग नाबार्ड के अध्यक्ष और कार्यक्रम में मुख्य अतिथि शाजी केवी ने पतंजलि के साथ सहयोग को महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा, ''नाबार्ड का उद्देश्य देश में स्थायी कृषि और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए ऋण उपलब्ध कराना है और यह सहयोग सृजनात्मक कार्य को प्रभावी ढंग से संचालित कर सकता है. '' उन्होंने विकसित भारत 2027 के लक्ष्य को साकार करने के लिए इस वर्ष को अत्यंत महत्त्वपूर्ण बताया.

उन्होंने मोनोकल्चर कृषि के कारण मिट्टी की उर्वरता में कमी और जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव की ओर भी ध्यान आकर्षित किया. फसल सुरक्षा से ही मानव स्वास्थ्य की रक्षा संभव- बालकृष्ण वहीं, कार्यक्रम में पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने कहा, ''फसल की सुरक्षा से ही मानव स्वास्थ्य की रक्षा संभव है. '' उन्होंने 'मूल की भूल' को सुधारते हुए मिट्टी को उसके मूल स्वरूप में लौटाने का आह्वान किया. उन्होंने जोर दिया कि 'स्वस्थ धरा' के लिए मृदा प्रबंधन आधुनिक समय की जरूरत है और सार्वभौमिक और निहित संपदा को पुनर्जीवित करना आवश्यक है. 'धरती का डॉक्टर' मशीन बनी आकर्षण का केंद्र कार्यशाला का मुख्य आकर्षण पतंजलि की ऑटोमेटिड मृदा परीक्षण मशीन 'धरती का डॉक्टर' (डीकेडी) रही.

आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि यह मशीन मृदा संबंधी चुनौतियों को दूर कर धरती को रोगमुक्त बनाने में सहायक है. इसकी किट से केवल आधे घंटे में मिट्टी के आवश्यक पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, पीएच, ऑर्गेनिक कार्बन और इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी का सटीक परीक्षण किया जा सकता है. भरुवा एग्री साइंस के निदेशक डॉ. के. एन.

शर्मा ने बताया कि डीकेडी किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली फसल उत्पादन की चुनौतियों का समाधान करने में मदद करती है. इस अवसर पर 'स्वस्थ धरा' और 'मेडिसिनल प्लांट्सः इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फाइटोमेडिसिन्स एंड रिलेटेड इंडस्ट्रीज' पुस्तकों का लोकार्पण भी हुआ.

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