Quick Summary
This article highlights: निठारी हत्याकांड में सुरेंद्र कोली की क्यूरेटिव याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा, कहा - बाकी मामलों में बरी होने के बाद एक केस के लिए बंद रहना असामान्य बात. In context: निठारी हत्याकांड मामले में उम्र कैद की सज़ा काट रहे सुरेंद्र कोली के बाहर आने की संभावना बनती नज़र आ रही है 12 मामलों में बरी हो चुका कोली सिर्फ एक मामले में दोषी होने के चलते जेल में है. Stay tuned with The Headline World for more insights and details.
निठारी हत्याकांड मामले में उम्र कैद की सज़ा काट रहे सुरेंद्र कोली के बाहर आने की संभावना बनती नज़र आ रही है. 12 मामलों में बरी हो चुका कोली सिर्फ एक मामले में दोषी होने के चलते जेल में है. अब सुप्रीम कोर्ट ने उसकी क्यूरेटिव याचिका पर यह कहते हुए आदेश सुरक्षित रख लिया है कि यह 1 मिनट में स्वीकार करने लायक केस है.
क्या है मामला?
29 दिसंबर 2006 को नोएडा के निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे के नाले से 8 बच्चों के कंकाल मिले थे. बाद में घर के आसपास के नालों की तलाशी और खुदाई में कई और कंकाल मिले. मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली के खिलाफ कुल 19 केस दर्ज हुए. पंढेर को 2 मामलों में सज़ा हुई. लेकिन कोली को निचली अदालत ने कुल 13 मामलों में फांसी की सज़ा दी.
ज़्यादातर मामलों में मिली राहत
16 अक्टूबर 2023 को इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला आया. हाई कोर्ट ने 12 मामलों में कोली को बरी कर दिया. पंढेर को भी उसके खिलाफ चल रहे दोनों मामलों में बरी किया गया. इस साल 30 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कोली और पंढेर को बरी करने के हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा.
सिर्फ 1 केस में मिली सज़ा
निठारी हत्याकांड से जुड़े रिम्पा हलदर हत्या केस में मुकदमा बाकी मामलों से ज़्यादा तेज़ी से आगे बढ़ा था. निचली अदालत, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने कोली को इस मामले में मौत की सज़ा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने उसकी पुनर्विचार याचिका को भी खारिज किया था. हालांकि, 2015 में दया याचिका के निपटारे में हुई देरी के आधार पर फांसी को उम्र कैद में बदल दिया गया था. इसके चलते वह अभी जेल में है.
सुप्रीम कोर्ट ने अब क्या कहा
सुरेंद्र कोली ने बाकी सभी मामलों में बरी होने का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल की. मंगलवार, 7 अक्टूबर को इसे 3 वरिष्ठतम जजों चीफ जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस विक्रम नाथ ने सुना. कोर्ट ने कहा कि बाकी सभी मामलों में याचिकाकर्ता के बरी होने के बाद एक असामान्य स्थिति बन गई है. अगर इस इकलौते मामले को देखा जाए तो इसमें भी कोली की दोषसिद्धि केवल एक बयान और रसोई के चाकू की बरामदगी पर आधारित थी. ऐसे में यह मामला स्वीकार करने योग्य लगता है.








