प्रधानमंत्री ने जापान की पीएम जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइची के साथ खास बातचीत की. उन्हें पदभार ग्रहण करने पर बधाई दी और आर्थिक सुरक्षा, रक्षा सहयोग और प्रतिभा गतिशीलता पर केंद्रित भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को आगे बढ़ाने के हमारे साझा दृष्टिकोण पर चर्चा की. हम इस बात पर सहमत हुए कि वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए भारत-जापान के मजबूत संबंध अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. जापान बीते कुछ महीनों से गहरे राजनीतिक संकट से गुजर रहा था, जुलाई 2025 में हुए संसदीय चुनावों में लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) को करारी हार का सामना करना पड़ा. पार्टी की इस हार के बाद देश में राजनीतिक खींचतान और नेतृत्व संकट शुरू हो गया था.
शिगेरु इशिबा का इस्तीफा? पूर्व प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा, जो मुश्किल से एक साल सत्ता में रहे. उन्होंने 15 अक्टूबर को इस्तीफा दे दिया. इसी के साथ LDP में नेतृत्व बदलने की प्रक्रिया शुरू हुई. इस सत्ता शून्यता को खत्म करने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने साने ताकाइची का नाम आगे बढ़ाया, जो लंबे समय से LDP के दक्षिणपंथी गुट से जुड़ी हुई थीं. नया गठबंधन बना रास्ता ताकाइची ने जापान इनोवेशन पार्टी (Nippon Ishin no Kai) के साथ गठबंधन करके नया समीकरण तैयार किया है.
इस गठबंधन ने संसद में बहुमत के करीब सीटें हासिल कीं और ताकाइची को प्रधानमंत्री पद पर पहुंचाया. साने ताकाइची ड्रमर से लेकर जापान की शीर्ष नेता तक साने ताकाइची का जीवन सफर प्रेरणादायक है. 64 वर्षीय ताकाइची ने अपने करियर की शुरुआत हेवी-मेटल ड्रमर और मोटरसाइकिल प्रेमी के रूप में की थी, लेकिन जल्द ही वे राजनीति की ओर मुड़ीं और 1993 में अपने गृह नगर नारा से पहली बार सांसद बनीं. उन्होंने आर्थिक सुरक्षा, आंतरिक मामलों और लैंगिक समानता जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों का नेतृत्व किया. वे जापान की पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की करीबी सहयोगी रही हैं और उनकी रूढ़िवादी नीतियों की समर्थक मानी जाती हैं.
ताकाइची अपने आदर्श के रूप में ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर का उल्लेख करती हैं, जो उनके मजबूत नेतृत्व और स्पष्ट विचारों की झलक है.








