उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) पेपर लीक प्रकरण में जांच कर रही दून एसआईटी को बड़ा सुराग मिला है. मुख्य आरोपी खालिद मलिक का आपराधिक रिकॉर्ड सामने आया है, जिससे जांच एजेंसियों की निगाहें अब मेरठ और दिल्ली तक पहुंच गई हैं. सूत्रों के अनुसार, मेरठ में वर्ष 2023 में खालिद के खिलाफ नकल का मुकदमा दर्ज किया गया था. हालांकि, अब तक यूपी पुलिस को उसकी कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई थी, लेकिन अब एसआईटी से मिली जानकारी के आधार पर मेरठ पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी की कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी है. CBI ने पुलिस एफआईआर को बनाया आधार इस बीच, सीबीआई ने भी मामले में खालिद, सुमन, हीना और साबिया को आरोपी बनाया है.
देहरादून शाखा में सोमवार देर रात दर्ज किए गए मुकदमे में सीबीआई ने पुलिस की एफआईआर को आधार बनाते हुए जांच की जिम्मेदारी सहायक अधीक्षक राजीव चंदोला को सौंपी है. बड़े नेटवर्क का हिस्सा है खालिद एसआईटी की लगभग एक महीने की जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि खालिद केवल एक आरोपी नहीं बल्कि एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा है, जिसके तार मेरठ और दिल्ली तक फैले हैं. एसआईटी ने इस नेटवर्क से जुड़ी कई अहम जानकारियां और दस्तावेज मंगलवार को सीबीआई को सौंप दिए हैं. माना जा रहा है कि सीबीआई अब इस नेटवर्क के सभी सदस्यों को चिन्हित कर जल्द कार्रवाई करेगी. एसआईटी ने सीबीआई को बताया है कि खालिद और साबिया की गिरफ्तारी के दौरान कई अहम साक्ष्य मिले हैं.
तलाशी के दौरान जब खालिद के घर से कोई पाठ्य सामग्री नहीं मिली, तो जांच टीम को शक हुआ. इसके बाद मिले दस्तावेजों से पता चला कि खालिद ने वर्ष 2023 से 2025 के बीच कुल नौ प्रतियोगी परीक्षाओं में आवेदन किया, जिनमें से पांच परीक्षाओं में वह सम्मिलित नहीं हुआ. कुछ परीक्षाओं के लिए तो वह शैक्षिक रूप से पात्र भी नहीं था. पूरे गैंग को संचालित करने में थी खालिद की भूमिका एसआईटी का मानना है कि खालिद की भूमिका सिर्फ नकल कराने या प्रश्नपत्र लीक करने तक सीमित नहीं थी, बल्कि वह पूरे गैंग को संचालित करने में अहम भूमिका निभा रहा था. सीबीआई की आगे की जांच से इस पूरे नेटवर्क के कई और नामों के सामने आने की संभावना है.







