मर्दों से 3 गुना ज्यादा भुलक्कड़ होती हैं औरतें, विधवा और सिंगल महिलाओं में खतरा ज्यादा

मर्दों से 3 गुना ज्यादा भुलक्कड़ होती हैं औरतें, विधवा और सिंगल महिलाओं में खतरा ज्यादा
By : | Edited By: मानसी | Updated at : 30 Oct 2025 12:57 PM (IST)

बढ़ती उम्र के साथ शरीर ही नहीं, दिमाग भी कमजोर होने लगता है. कई बार हम इसे उम्र का असर मानकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन हाल ही में हुए एक बड़े शोध में बुजुर्गों में भूलने की बीमारी यानी डिमेंशिया या मेमोरी लॉस के बारे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) और पीजीआई के विशेषज्ञों ने मिलकर 350 बुजुर्गों पर एक रिसर्च किया. इस रिसर्च में सामने आया कि महिलाओं में भूलने की समस्या पुरुषों की तुलना में लगभग तीन गुना ज्यादा पाई गई. यानी अगर 100 पुरुषों में से 13 को भूलने की दिक्कत है तो उतनी ही उम्र की 100 महिलाओं में यह दिक्कत 39 तक पहुंच जाती है.

साथ ही इसका विधवा और सिंगल महिलाओं में खतरा ज्यादा देखने को मिला, ऐसे में चलिए जानते हैं कि मर्दों की तुलना में औरतें 3 गुना ज्यादा भुलक्कड़ क्यों होती हैं. मर्दों की तुलना में औरतें 3 गुना ज्यादा भुलक्कड़ क्यों होती हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि महिलाओं में यह समस्या सिर्फ उम्र के कारण नहीं, बल्कि कुपोषण, मानसिक तनाव और अकेलेपन की वजह से तेजी से बढ़ रही है, जिसके कारण विधवा और परिवार से अलग रहने वाली महिलाएं इस बीमारी की ज्यादा शिकार मिलीं. ऐसी महिलाओं का खानपान संतुलित नहीं होता और वे अपने स्वास्थ्य का उतना ध्यान नहीं रख पातीं हैं. साथ ही इमोशनल और सामाजिक जुड़ाव की कमी भी दिमाग पर गहरा असर डालती है.

रिसर्च में और क्या आया सामने शोध में यह भी सामने आया कि भूलने की बीमारी से पीड़ित महिलाओं में सोचने, निर्णय लेने और तर्क करने की ताकत भी घट जाती है. KGMU के एक्सपर्ट्स के अनुसार, अकेले रहने की वजह से महिलाएं ठीक से खाना नहीं खा पाती, जिससे शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है. यही कुपोषण धीरे-धीरे दिमाग की काम करने की ताकत को प्रभावित करता है. क्या हैं इस समस्या के दिखने वाले आम लक्षण? रिसर्च में पाया गया कि भूलने की बीमारी से जूझ रहे बुजुर्गों और महिलाओं में सिर्फ याददाश्त की समस्या नहीं, बल्कि कई अन्य मानसिक और शारीरिक दिक्कतें भी देखी गईं. इनमें बार-बार बात भूल जाना या चीजें कहीं रखकर भूल जाना, चिड़चिड़ापन और गुस्सा बढ़ जाना, नींद न आना या बहुत कम सोना, हर किसी पर शक करना, रोज के कामकाज में मुश्किल महसूस होना, बीपी, शुगर, आंखों की दिक्कत और अन्य बीमारियों का बढ़ना शामिल हैं.

यह भी पढ़ें Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. Check out below Health Tools-.

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