माइक्रोप्लास्टिक बढ़ा सकता है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा, जानें रोजमर्रा की आदतें कैसे बन रहीं खतरनाक?

माइक्रोप्लास्टिक बढ़ा सकता है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा, जानें रोजमर्रा की आदतें कैसे बन रहीं खतरनाक?
By : | Updated at : 17 Oct 2025 10:13 AM (IST)
Quick Summary

This article highlights: माइक्रोप्लास्टिक बढ़ा सकता है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा, जानें रोजमर्रा की आदतें कैसे बन रहीं खतरनाक?. In context: हम सभी हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में कहीं न कहीं प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि छोटे-छोटे माइक्रोप्लास्टिक के कण हमारी सेहत के लिए खतरनाक हो सकते हैं हाल ही में हुई एक रिसर्च में सामने आया है कि इन माइक्रोप्लास्टिक में मौजूद कुछ केमिकल्स जैसे BPA और फ्थेलेट्स हार्मोन को प्रभावित कर सकते हैं. Stay tuned with The Headline World for more insights and details.

हम सभी हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में कहीं न कहीं प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि छोटे-छोटे माइक्रोप्लास्टिक के कण हमारी सेहत के लिए खतरनाक हो सकते हैं. हाल ही में हुई एक रिसर्च में सामने आया है कि इन माइक्रोप्लास्टिक में मौजूद कुछ केमिकल्स जैसे BPA और फ्थेलेट्स हार्मोन को प्रभावित कर सकते हैं. खासकर यह इस्ट्रोजन हार्मोन को बदल सकते हैं, जो ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ाने में मदद करता है. इस रिसर्च के अनुसार माइक्रोप्लास्टिक सीधे कैंसर का कारण नहीं बनता लेकिन इसमें मौजूद रसायन शरीर में जाकर हार्मोन संतुलन बिगाड़ सकते हैं. यहीं हार्मोन असंतुलन ब्रेस्ट कैंसर का बड़ा कारण माना जाता है. ऐसे में चलिए अब आपको बताते हैं रोजमर्रा की वह आदतें जो ब्रेस्ट कैंसर का खतरा पैदा कर रही है.

रोजमर्रा की आदतें, जो बन रहीं खतरनाक

  • एक्सपर्ट्स के अनुसार आज की लाइफस्टाइल में महिलाएं अक्सर अनजाने में इस हानिकारक केमिकल के संपर्क में आती है. जैसे प्लास्टिक फूड और वॉटर कंटेनर इसका मुख्य सोर्स है. प्लास्टिक कंटेनर में खाना गर्म करना या बोतल बंद पानी पीना खासकर, जब यह धूप या हाई टेंपरेचर में रखा हो तो यह प्‍लास्‍ट‍िक खाने और पानी में हानिकारक केमिकल छोड़ सकते हैं.
  • इसके अलावा पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स और कॉस्मेटिक भी खतरा पैदा कर सकते हैं. कई लोशन, क्रीम और स्क्रब में माइक्रोबीड्स या प्लास्टिक से बनी चीजे होती है, जो स्किन के जरिए शरीर में पहुंच सकती है.
  • फूड पैकेजिंग भी इसके दायरे में आती है. टेक अवे कंटेनर, क्लिंग फिल्म और अन्य पैकेजिंग गर्म या ऑयली खाने में प्लास्टिक कण छोड़ सकते हैं, जो शरीर में प्रवेश कर हार्मोनल असंतुलन पैदा कर सकते हैं. वहीं एक्‍सपर्ट्स के अनुसार हार्मोनल असंतुलन खासकर इस्‍ट्रोजन का ज्यादा सक्रिय होना ब्रेस्ट कैंसर के विकास के लिए खतरनाक हो सकता है.

ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कैसे करें कम?

कम माइक्रोप्लास्टिक और ब्रेस्ट कैंसर के बीच सीधे कनेक्शन को लेकर अभी रिसर्च जारी है. लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि सही लाइफस्टाइल अपनाकर इन खतरों को कम किया जा सकता है. इसे लेकर एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि महिलाएं खाने के लिए प्लास्टिक की जगह ग्‍लास या स्टील के कंटेनर का इस्तेमाल कर सकती है. इसके अलावा पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स चुनते समय माइक्रोप्लास्टिक फ्री या फ्थेलेट्स फ्री लेबल वाले प्रोडक्ट का उपयोग कर सकती है.

Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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