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This article highlights: इस भारतीय कारोबारी पर UAE में लगा 408,00,00,000 रुपये का जुर्माना, जानें दुनिया में किस शख्स ने भरी सबसे ज्यादा पेनाल्टी?. In context: दुबई इंटरनेशनल फाइनेंशियल सेंटर (DIFC) कोर्ट ने भारतीय बिजनेसमैन बीआर शेट्टी को बड़ा वित्तीय झटका दिया है कोर्ट ने आदेश दिया कि उन्हें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की DIFC ब्रांच को 168. Stay tuned with The Headline World for more insights and details.
दुबई इंटरनेशनल फाइनेंशियल सेंटर (DIFC) कोर्ट ने भारतीय बिजनेसमैन बीआर शेट्टी को बड़ा वित्तीय झटका दिया है. कोर्ट ने आदेश दिया कि उन्हें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की DIFC ब्रांच को 168.7 मिलियन दिरहम यानी करीब 408 करोड़ रुपये चुकाने होंगे. यह फैसला इसलिए आया, क्योंकि कोर्ट ने पाया कि शेट्टी ने सुनवाई के दौरान झूठा बयान दिया था. उन्होंने करीब 183.5 मिलियन दिरहम के लोन के लिए पर्सनल गारंटी देने से इनकार किया था, जबकि कोर्ट के मुताबिक यह उनकी जिम्मेदारी थी.
बीआर शेट्टी के मामले ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि दुनिया में अब तक का सबसे बड़ा जुर्माना किस पर लगा है. हालांकि किसी एक व्यक्ति पर इतना भारी जुर्माना नहीं लगाया गया है, बल्कि सबसे बड़े जुर्माने कंपनियों पर ही लगे हैं. चलिए जानें.
किसने भरा सबसे बड़ा जुर्माना
वैश्विक जुर्मानों के मामले में अब तक का सबसे बड़ा नाम गूगल का है. रूस की अदालत ने गूगल पर 20 डेसिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया था. यह राशि इतनी भारी थी कि इसे पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था के बराबर भी कहा जा सकता है. अदालत ने गूगल पर यह जुर्माना इसलिए लगाया, क्योंकि कंपनी ने रूस के कानूनी और वित्तीय नियमों का उल्लंघन किया था. यह मामला वैश्विक तकनीकी कंपनियों के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा गया था.
लिस्ट में दूसरा नाम किसका
दूसरी ओर, सबसे बड़ा आपराधिक जुर्माना ब्रिटिश पेट्रोलियम (बीपी) के नाम दर्ज है. साल 2010 में हुए डीपवाटर होराइजन तेल रिसाव ने खाड़ी में पर्यावरण और समुद्री जीवन को गंभीर नुकसान पहुंचाया. इस आपदा के लिए बीपी पर आपराधिक जुर्माना लगाया गया, जो अब तक का सबसे बड़ा आपराधिक जुर्माना माना जाता है. इसके अलावा, इस घटना ने वैश्विक तेल कंपनियों के लिए पर्यावरणीय जिम्मेदारी के महत्व को उजागर किया.
वैश्विक व्यापारिक समुदाय के लिए चेतावनी
बीआर शेट्टी के मामले से यह साफ होता है कि अंतरराष्ट्रीय फाइनेंशियल सिस्टम में सत्यापन और पर्सनल गारंटी कितनी अहम भूमिका निभाते हैं. DIFC कोर्ट का यह फैसला न सिर्फ शेट्टी के लिए बल्कि वैश्विक व्यापारिक समुदाय के लिए भी एक चेतावनी है कि वित्तीय दायित्वों और कानूनी जिम्मेदारियों से भागना आसान नहीं. बीआर शेट्टी के मामले में चाहे जुर्माना भारतीय रुपये में 408 करोड़ का है, लेकिन दुनिया में कंपनियों पर लगे जुर्मानों की तुलना में यह कहीं छोटा है.
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