उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर सियासत तेज हो गई है. समाजवादी पार्टी ने एसआईआर को लेकर राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं, सपा ने इस प्रक्रिया से पहले यूपी में धर्म व जाति के आधार पर तैनात अधिकारियों को हटाए जाने की मांग की है. सपा प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल पाल ने इस संबंध में मुख्य निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन देकर एसआईआर की प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की मांग की. सपा ने कहा कि प्रदेश की 403 विधानसभा में जाति धर्म के आधार पर अधिकारियों की पोस्टिंग की गई है. जिससे बीजेपी की मंशा जाहिर होती है.
सपा ने लगाया जाति आधारित पोस्टिंग का आरोप समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया कि प्रदेश में एसआईआर कराने के लिए नियुक्त किए गए बीएलओ, ईआरओ और एडीएम (चुनाव) को जाति और धर्म के आधार पर भाजपा सरकार की मानसिकता के अनुरूप नियुक्त किया गया है. सपा ने कहा कि 403 विधानसभा में निर्वाचन क्षेत्रों के 1,62,486 मतदान केंद्रों पर 15. 44 करोड़ मतदाताओं के एसआईआर की प्रक्रिया शुरू करने से पहले बीएलओ (बूथ लेवल अधिकारी), एडीएम (चुनाव) और इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ईआरओ) की नियुक्ति बिना किसी जाति या धर्म के भेदभाव के की जानी चाहिए. ऐसा करने से भारत निर्वाचन आयोग की विश्वसनीयता पर कोई प्रश्नचिह्न नहीं लगेगा. सपा के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने दावा किया कि इन नियुक्तियों में स्पष्ट भेदभाव हुआ है.
चुनाव आयोग से की अपील ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया गया कि उपचुनावों के दौरान कानपुर के सीसामऊ और आंबेडकरनगर के कटेहरी विधानसभा क्षेत्रों में जाति और धर्म के आधार पर बीएलओ बदले गए, जिसकी शिकायत किए जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई. सपा ने कहा कि इस मामले में भारत निर्वाचन आयोग मूकदर्शक बना रहा. मुख्य निर्वाचन अधिकारी को यह ज्ञापन के. के. श्रीवास्तव, डॉ.
हरिश्चंद्र और राधेश्याम सिंह ने सौंपा और त्वरित कार्रवाई की मांग की.








