National Unity Day 2025: जिन्ना को लेकर क्या थी सरदार पटेल की राय, उनकी मौत पर क्या बोले थे लौह पुरुष?

National Unity Day 2025: जिन्ना को लेकर क्या थी सरदार पटेल की राय, उनकी मौत पर क्या बोले थे लौह पुरुष?
By : | Updated at : 30 Oct 2025 11:24 AM (IST)

National Unity Day 2025: देश के पहले गृहमंत्री और लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी. इस बार सरदार पटेल की 150वीं जयंती मनाई जा रही है. ऐसे में गुजरात समेत पूरे देश में कई भव्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. पीएम मोदी भी सरदार पटेल के स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के सामने होने वाले राष्ट्रीय एकता दिवस परेड में शामिल होंगे. इस परेड में केंद्रीय सशस्त्र बलों, कई राज्यों की पुलिस टुकड़ियों और भारतीय वायुसेना का एयर शो भी होगा.

सरदार पटेल को भारत के एकीकरण का श्रेय दिया जाता है, जिन्होंने आजादी के बाद देश की 565 रियासतों को मिलाकर एक भारत का सपना साकार किया था. ऐसे में सरदार पटेल की जयंती पर आज हम आपको बताएंगे कि पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना को लेकर सरदार पटेल की क्या राय थी और जिन्ना की मौत पर उन्होंने क्या कहा था. पटेल के जिन्ना से संबंध और कश्मीर को लेकर राय इतिहासकारों के अनुसार, सरदार पटेल शुरू में कश्मीर को लेकर ज्यादा दिलचस्पी नहीं रखते थे. उनका मानना था कि जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह को यह फैसला खुद करना चाहिए कि उन्हें भारत में रहना है या पाकिस्तान के साथ जाना है. हालांकि, जूनागढ़ की घटना के बाद उनका रुख बदल गया था.

ऐसे में जब जिन्ना ने मुस्लिम शासक और हिंदू बहुल जूनागढ़ को पाकिस्तान में मिलाने की कोशिश की तो पटेल ने विरोध जताया था. जूनागढ़ को पाकिस्तान में मिलाने की जिन्ना की सोच को लेकर पटेल ने कहा था कि अगर जिन्ना हिंदू बहुल राज्य को जोड़ सकते हैं, तो मैं मुस्लिम बहुल कश्मीर को क्यों नहीं मिला सकता, जिसका शासक हिंदू है. माना जाता है कि यही वह मोड़ था जब पटेल ने कश्मीर के भारत में विलय को लेकर सख्त रुख अपनाया था. जिन्ना की मौत पर क्या बोले थे पटेल?पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की मौत 11 सितंबर 1948 को कराची में हुई थी. तब उनकी उम्र 71 साल थी.

जिन्ना लंबे समय से टीबी की बीमारी से पीड़ित थे, लेकिन इस बीमारी के बारे में जिन्ना ने किसी को बताया नहीं था. जिन्ना की मौत पर सरदार पटेल का लेकर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया था. बताया जाता है कि जिन्ना की मौत पर पटेल ने कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की थी. हालांकि जिन्ना की मौत पर जवाहर लाल नेहरू का बयान सामने आया था, जिसमें उन्होंने जिन्ना की मौत पर शोक जताया था. जूनागढ़ और हैदराबाद ने बदला था पटेल का नजरिया दरअसल भारत की आजादी के बाद जूनागढ़, हैदराबाद और कश्मीर तीनों रियासतें सरदार पटेल के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आई थी.

पटेल ने बिना किसी खून खराबे के ज्यादातर रियासतों का भारत में विलय कराया, लेकिन जूनागढ़ और हैदराबाद के लिए जिन्ना के मकसद के चलते उन्हें सख्त कदम उठाने पड़े. पटेल ने जूनागढ़ के नवाब को जनता के समर्थन और रणनीति के बल पर झुकने पर मजबूर कर दिया था और 9 नवंबर 1947 को यह रियासत भारत का हिस्सा बन गई थी. वहीं इसी घटना के बाद ही सरदार पटेल को एहसास हुआ था कि जिन्ना की नीति टू नेशन थ्योरी सिर्फ धर्म के आधार पर नहीं बल्कि राजनीतिक हित पर भी टिकी है.

📚 Related News