उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग से पहले ही तय था कि एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन की जीत तय है, क्योंकि संख्याबल एनडीए के पक्ष में है. फिर भी चुनाव में व्हिप न होने और अंतरात्मा की आवाज पर वोटिंग का नतीजा बदलने की उम्मीद में विपक्ष ने अपना उम्मीदवार इस चुनाव में उतार दिया, लेकिन नतीजे आए तो पता चला कि अंतरात्मा की आवाज तो किसी सांसद ने नहीं ही सुनी, उल्टे एनडीए ने विपक्षी खेमे में ही सेंध लगा दी और कम से कम 15 सांसदों को क्रॉस वोटिंग करवाकर एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन की जीत सुनिश्चित कर दी.
अगर आंकड़ों के लिहाज से इस चुनाव को समझें तो देश की लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों की कुल संख्या के हिसाब से उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल वोट होते हैं 788. इनमें से सिर्फ 767 सांसदों ने ही वोट डाला था क्योंकि बीजू जनता दल, बीआरएस और अकाली दल वोटिंग में शामिल ही नहीं हुए. जीते हुए सीपी राधाकृष्णन को कुल 452 वोट मिले और हारे हुए जस्टिस सुदर्शन रेड्डी को कुल 300 वोट मिले. बाकी के 15 वोट अमान्य हो गए थे. तो इस लिहाज से सीपी राधाकृष्णन की जीत का अंतर रहा है 152 वोट का. अब अगर आप एनडीए का संख्या बल समझें तो लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर ये आंकड़ा होता है सिर्फ 438. यानी कि मिले हुए वोट से 14 वोट ज्यादा. इसमें भी 11 सांसद जगन मोहन रेड्डी की उस वाईएसआर कांग्रेस के हैं, जो आधिकारिक तौर पर एनडीए का हिस्सा नहीं हैं लेकिन इस चुनाव में उसने एनडीए का साथ दिया है.
इंडिया ब्लॉक के कुल सांसदों की संख्या थी 315. यानी कि जीते हुए सीपी राधाकृष्णन को एनडीए से अलग जो 14 वोट मिले, वो किसके थे. जाहिर है कि विपक्षी इंडिया ब्लॉक के ही ये सभी सांसद होंगे. बाकी इंडिया ब्लॉक के 315 थे और मिले 300 ही. तो वो 15 वोट कहां गए ये तो साफ हो ही गया है कि कुछ क्रॉस वोटिंग हुई और कुछ अमान्य हो गए. अब चूंकि इस चुनाव में सांसद अपनी-अपनी पार्टी की प्रतिबद्धता से बंधे नहीं होते हैं यानी कि इस चुनाव में पार्टी का व्हिप काम नहीं करता है तो सांसद अपनी अंतरात्मा की आवाज पर किसी भी उम्मीदवार को वोट कर सकते हैं. विपक्ष ने कमजोर संख्याबल के बावजूद अपना उम्मीदवार इसी भरोसे उतारा था कि एनडीए के सांसद अंतरात्मा की आवाज पर क्रॉस वोटिंग करेंगे, लेकिन हुआ उल्टा और इंडिया ब्लॉक के ही सांसद क्रॉस वोटिंग कर गए.
अब ये क्रॉस वोटिंग करने वाले सांसद हैं कौन, ये तो पता नहीं चल सकता और तब तक पता नहीं चल सकता, जबतक कि सांसद खुद कुछ न बताएं, लेकिन वो बताएंगे भी नहीं क्योंकि ये गुप्त मतदान होता है. यानी कि किसने किसको वोट दिया, ये बताया नहीं जा सकता है, लेकिन इससे भी दिलचस्प बात उन 15 अमान्य वोटों की है. अगर ये सभी अमान्य वोट सिर्फ विपक्ष के हैं, तब तो ठीक, लेकिन अगर इन अमान्य वोट में भी एनडीए के कुछ सांसदों का वोट है, तो इसका मतलब है कि सीपी राधाकृष्णन के पक्ष में विपक्ष से वोट करने वाले सिर्फ 14 ही नहीं बल्कि और भी ज्यादा सांसद हैं. यही संख्या विपक्ष के लिए सबसे बड़ी चुनौती भी है क्योंकि अभी बिहार में विधानसभा का चुनाव है, जहां इंडिया गठबंधन की परीक्षा होनी है. उससे भी बड़ी परीक्षा तो पश्चिम बंगाल में है, जहां ममता बनर्जी कांग्रेस के साथ हैं कि खिलाफ, ये भी कभी साफ तौर पर तय नहीं हो पाता है.